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लेक्चररशिप : एक सदाबहार आकर्षक पेशा, जानें योग्यता और भर्ती प्रक्रिया…

लेक्चररशिप : एक सदाबहार आकर्षक पेशा, जानें योग्यता और भर्ती प्रक्रिया…

लेक्चरर बनने के लिए आपके पास मास्टर्स डिग्री के बाद पीएचडी या नेट जैसे विकल्प हैं। यह एक ऐसा करियर है, जो आपको समाज में सम्मान के साथ बेहतर जीवन और वित्तीय लाभ देता है। आप कैसे लेक्चरर बन सकते हैं, बता रहे हैं करियर कंसल्टेंट अशोक सिंह…

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अधिकांश लोगों को यह जानकारी ही नहीं है कि हमारे देश में उच्च शिक्षा का मजबूत और विशाल नेटवर्क है। यही कारण है कि विदेशी छात्र भी भारी संख्या में यहां पर अध्ययन करने आते हैं। हालांकि यह पहचान तो प्राचीन काल से ही बनी हुई है। नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालय प्राचीन भारत के अत्यंत ख्यातिप्राप्त शिक्षण संस्थान थे।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग या यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (यूजीसी) से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्तमान में देश में कुल 867 विश्वविद्यालय मौजूद हैं। इनमें 47 केंद्रीय विश्वविद्यालय, 389 राज्य विश्वविद्यालय, 124 समतुल्य या डीम्ड यूनिवर्सिटीज तथा 307 निजी यूनिवर्सिटीज शामिल हैं। इनके अलावा केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय भी हैं। एक मोटे अनुमान के अनुसार इनके अलावा 40 हजार से अधिक कॉलेज भी देश के विभिन्न प्रांतों में स्थित हैं। इस विशाल शिक्षा तंत्र में लाखों की संख्या में लेक्चरर या असिस्टेंट प्रोफेसर कार्यरत हैं, जिनका दायित्व यहां अध्ययनरत छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध करवाना है। प्रति वर्ष हजारों की संख्या में इन पदों की रिक्तियां भरी जाती हैं।

अहम हैं लेक्चरर

कॉलेज और यूनिवर्सिटी में अध्यापन का कार्यभार लेक्चरर समुदाय पर होता है। इसलिए अध्ययन-अध्यापन और शोध कार्यों में गहन दिलचस्पी रखने वाले लोगों को ही बतौर लेक्चरर नियुक्त किया जाता है। सरलतम भाषा में कहें तो छात्रों को विषय की बारीकियां समझाने तथा विषयों के प्रति लगाव विकसित करने की जिम्मेदारी इन्हीं लेक्चरर की होती है।

यहां यह उल्लेख करना भी प्रासंगिक होगा कि समय के साथ इन पाठ्यक्रमों में नई अवधारणाओं को शामिल किया जाता है। इन नए विषयों को छात्रों को पढ़ाने से पहले लेक्चरर को स्वयं भी तैयारी करने में वक्त लगाना पड़ता है। यही नहीं, नए पाठ्यक्रम तैयार करना, छात्रों को आवश्यक नोट्स देना, ट्यूटोरियल की जांच करना आदि भी अध्यापन के अलावा इनके दैनिक कार्यकलापों का हिस्सा होता है।

गुरु मंत्र
अपने विषय से संबंधित किताबें पढ़ना और नई जानकारियों को आत्मसात करना, स्वयं को एक कुशल लेक्चरर के तौर पर स्थापित करने के लिए अति आवश्यक है। इस कार्य को एकरस नजरिएसे नहीं देखा जाना चाहिए। अध्यापक का काम छात्रों की समस्याओं को दूर करना और उन्हें अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करना है। यह तभी होगा, जब लेक्चरर विषय संबंधी ताजा जानकारी से भी अपडेट रहें। छात्रों के साथ दोस्ताना रहते हुए धैर्य और संयम को बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए।

आम गलतियां
देखने में आता है कि नेट परीक्षा देने वाले पेपर-1 को हल्के में लेते हैं और सारा समय पेपर-2 की तैयारी में लगा बैठते हैं। यह बिल्कुल गलत सोच है। पेपर-1 के 100 अंक तथा पेपर 2 के 200 अंक होते हैं। इनकी एक साथ तैयारी करनी चाहिए।

शैक्षिक योग्यता
लेक्चररशिप के लिए काफी कड़ी शर्तों की कसौटी से आवेदकों को गुजरना पड़ता है। इसमें मास्टर्स डिग्री का होना, नेट परीक्षा में पास होना आदि सर्वाधिक महत्वपूर्ण शर्तें हैं। नेट परीक्षा वर्ष में दो बार (जून और दिसंबर) में आयोजित की जाती है। इस परीक्षा में मुख्य तौरपर अभ्यर्थी द्वारा चुने गए विषय तथा टीचिंग व रिसर्च एप्टिट्यूड पर आधारित प्रश्न होते हैं, जिनके माध्यम से प्रत्याशियों की शिक्षण क्षमता एवं उसके द्वारा चुने गएविषय की जानकारी, बुनियादी समझ आदि का मूल्यांकन किया जाता है।

नेट परीक्षा
केंद्र सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय के अधीन कार्यरत विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), नई दिल्ली द्वारा वर्ष में दो बार नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (नेट) का आयोजन किया जाता है। अमूमन जून और दिसंबर माह में साल में दो बार इस परीक्षा का संचालन किया जाता है। इसमें शामिल होने के लिए मास्टर्स डिग्री के स्तर पर कम से कम 55 प्रतिशत अंक अवश्य होने चाहिए। परीक्षा का मुख्य उद्देश्य देश की यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में अध्यापन और शिक्षा के स्तर को बनाए रखने के लिए न्यूनतम शैक्षिक मानदंडों को सुनिश्चित करते हुए लेक्चरर पदों के लिए उपयुक्त प्रत्याशियों का आकलन करना है। मानविकी विषयों, सोशल साइंसेज, कंप्यूटर साइंस, एनवायर्नमेंटल साइंस, इलेक्ट्रॉनिक साइंस आदि कईएक विषयों में इस परीक्षा का आयोजन किया जाता है। विज्ञान विषयों के लिए यूजीसी-सीएसआईआर-नेट का आयोजन होता है।

जॉब्स
देश में स्थित विभिन्न विश्वविद्यालयों/कॉलेजों में लेक्चरर की नियुक्तियां बड़े पैमाने पर की जाती हैं। केंद्र सरकार के फर्स्ट क्लास गैजेटेड ऑफिसर पद के समकक्ष ही शुरुआती वेतनमान और अन्य भत्ते होते हैं। देश में हाल के वर्षों में बड़ी संख्या में प्राइवेट यूनिवर्सिटीज की स्थापना के बाद युवाओं के लिए नेट परीक्षा पास करने के बाद लेक्चरर के रूप में करियर संवारने के अवसरों की संख्या में काफी वृद्धि देखने को मिली है। बाद में अनुभव और पदोन्नति के साथ प्रोफेसर के पद तक भी पहुंचा जा सकता है।

लेक्चररशिप के आकर्षण
सबसे बड़ी बात तो यही है कि दिन भर में तीन-चार क्लासेज ही पढ़ाने की बाध्यता होती है। इसके बाद के समय का उपयोग लिखने-पढ़ने अथवा शोध में लगाया जा सकता है। यही नहीं, अधिकांश यूनिवर्सिटीज में पांच दिवसीय कार्य सप्ताह होने के कारण सप्ताहांत में दो दिनों का अवकाश मिल जाता है। इनकी अवकाश प्राप्ति की आयु सामान्य तौर पर 62 वर्ष है, जबकि 3 वर्ष और एक्सटेंशन का भी प्रावधान है। सर्विस के दौरान पीएचडी करने के लिए वेतन सहित स्टडी लीव की भी व्यवस्था होती है। अन्य पेशों की तुलना में तनाव भी कम होता है।

सियासी मियार की रीपोर्ट