यूजीसी ने विश्वविद्यालय परिसरों में रैगिंग से निपटने के लिए उपाय सुझाए..

नई दिल्ली विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विश्वविद्यालयों के परिसरों में रैगिंग की बुराई से निपटने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं जिनमें रैगिंग रोधी समिति बनाने, छात्रों के साथ नियमित संवाद एवं परामर्श तथा छात्रावासों का औचक निरीक्षण आदि जैसे कदम शामिल हैं।
आयोग के सचिव रजनीश जैन ने विश्वविद्यालयों को लिखे पत्र में कहा, ‘‘छात्रों के साथ नियमित संवाद एवं उनकी काउंसलिंग होनी चाहिए ताकि रैगिंग के शुरुआती संकेतों और परेशानी पैदा करने वाले तत्वों का पता लगाया सके। हॉस्टल, छात्रों के रहने के स्थान, कैंटीन, आराम सह मनोरंजन कक्ष, शौचालयों, बस स्टैंड का औचक निरीक्षण किया जाना चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि इन कदमों से रैगिंग एवं किसी अवांछित व्यवहार या घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने अपने परामर्श में कहा कि रैगिंग रोधी समिति, रैगिंग रोधी दस्ता, रैगिंग रोधी प्रकोष्ठ का गठन तथा मीडिया के जरिए इन उपायों का पर्याप्त प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए।
इसमें कहा गया है कि संस्थान की सूचना एवं विवरण पुस्तिका में रैगिंग रोधी चेतावनी का स्पष्ट रूप से उल्लेख होना चाहिए और इसके साथ ही संस्थान के ई-पत्रक में दाखिला लेने वाले छात्रों को संस्थान की ओर से प्रदान किए जाने वाले मार्गदर्शन की जानकारी होनी चाहिए।
आयोग ने सुझाव दिया है कि महत्वपूर्ण जगहों पर सीसीटीवी कैमरा स्थापित करने, संस्थान की वेबसाइट एवं संपर्क के ब्योरे तथा रैगिंग रोधी समिति के अधिकारियों के बारे में जानकारी होनी चाहिए। इसने कहा है कि इस विषय पर रैगिंग रोधी कार्यशाला, सेमिनार आदि का आयोजन किया जाना चाहिए।
जैन ने अपने पत्र में कहा कि यूजीसी के नियमन एवं शपथ पेश करने संबंधी द्वितीय संशोधन के अनुरूप प्रत्येक छात्र और अभिभावकों को हर शैक्षणिक वर्ष में शपथपत्र प्रस्तुत करना चाहिए।
पत्र में कहा गया है कि यूजीसी के नियमन का उल्लंघन करने या रैगिंग रोकने के संदर्भ में संस्था द्वारा पर्याप्त कदम उठाने में विफल रहने पर यूजीसी अधिनियम के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
सियासी मियार की रिपोर्ट
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