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यूपी में नजूल की भूमि पर अब नहीं होंगे कोई निजी मालिक, सार्वजानिक उपयोगिता के लिए होगा इस्तेमाल

यूपी में नजूल की भूमि पर अब नहीं होंगे कोई निजी मालिक, सार्वजानिक उपयोगिता के लिए होगा इस्तेमाल

लखनऊ, 01 अगस्‍त। उत्तर प्रदेश विधानसभा में बुधवार को उत्तर प्रदेश राज्य राजधानी क्षेत्र (एससीआर) विधेयक के साथ ही उत्तर प्रदेश नजूल सम्पत्ति, 2024 विधेयक भी पारित हो गया। इन दोनों विधेयकों को योगी सरकार ने अध्यादेश लाने के बाद निर्धारित समयसीमा के अंदर विधानसभा में प्रस्तुत किया और इस पर सदन की मुहर लगवा दी। उत्तर प्रदेश राज्य राजधानी क्षेत्र (एससीआर) विधेयक के तहत एनसीआर की तर्ज पर स्टेट कैपिटल रीजन कागठन किया जाएगा।

विधेयक के पारित होने के बाद लखनऊ और उसके पड़ोसी जिलों उन्नाव, हरदोई, सीतापुर, रायबरेली, और बाराबंकी को मिलाकर एससीआर का गठन किया जाएगा, जिससे इन जिलों का उचित, व्यवस्थित और त्वरित विकास हो सकेगा। वहीं नजूल संपति विधेयक 2024 के तहत सरकार ने नजूल भूमि को संरक्षित करते हुए इन भूमियों को निजी व्यक्तियों/संस्थाओं के पक्ष में पूर्ण स्वामित्व के रूप में घोषित करने के बजाय इसका उपयोग केवल सार्वजनिक उपयोगिता के लिए किए जाने का निश्चय किया है।

दोनों ही विधेयकों को विधानसभा में वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने प्रस्तुत किया। विधेयक पारित होने के बाद विधानसभा को गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया। उत्तर प्रदेश राज्य राजधानी क्षेत्र एवं अन्य क्षेत्रीय विकास प्राधिकरणों का गठन विधेयक-2024 के माध्यम से राज्य सरकार का उत्तर प्रदेश राज्य राजधानी क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण और अन्य क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण की स्थापना का प्रस्ताव है। इसके गठन के लिए राज्य सरकार पर किसी प्रकार का व्यय भार प्रस्तावित नहीं है।

इसके तहत सभी 6 जिलों के 27 हजार 860 वर्ग मीटर एरिया को समेटकर राज्य राजधानी क्षेत्र बनाया गया है। इससे इन सभी जिलों में तेज विकास किया जा सकेगा और यहां रहने वाले लोगों को एनसीआर की तर्ज पर सुविधाएं प्रदान की सकेंगी। क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण अपने क्षेत्र के लिए संबंधित विकास प्राधिकरण, निगम, स्थानीय निकाय एवं विभिन्न सरकारी विभागों के समन्वय से क्षेत्रीय योजना तैयार करेगा, जिससे क्षेत्र के समग्र विकास और गुणवत्ता पूर्ण बुनियादी ढांचा संबंधी परियोजनाओं को बढ़ावा मिलेगा। इसके अतिरिक्त क्षेत्र के अंतर्गत निजी व सार्वजनिक क्षेत्र बुनियादी ढांचा संबंधी परियोजनाओं, जनसुविधाओं का समूचे क्षेत्र की आवश्यकता के अनुसार विकास होगा। योजना गत क्षेत्रीय विकास से आवासन, अवसंरचना, यातायात, उद्योग आदि सभी क्षेत्रों में रोजगार सृजन में बढ़ोत्तरी होगी।

वहीं, उत्तर प्रदेश नजूल सम्पत्ति विधेयक, 2024 के लागू होने के बाद उत्तर प्रदेश में स्थित नजूल भूमियों का निजी व्यक्ति या निजी संस्था के पक्ष में पूर्ण स्वामित्व के रूप में प्रतिवर्तन नहीं किया जाएगा तथा नजूल भूमि के पूर्ण स्वामित्व परिवर्तन संबंधी किसी भी न्यायालय की कार्यवाही या प्राधिकारी के समक्ष आवेदन, निरस्त हो जाएंगे और अस्वीकृत समझे जाएंगे। यदि इस संबंध में कोई धनराशि जमा की गई है, तो ऐसे जमा किए जाने की तारीख से उसे भारतीय स्टेट बैंक की मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (एमसीएलआर) की ब्याज दर पर कैलकुलेट करते हुए धनराशि वापस कर दी जाएगी। नजूल भूमि के ऐसे पट्टाधारक जिनका पट्टा अभी भी चालू है और नियमित रूप से पट्टा किराया जमा कर रहे हैं और पट्टे की किसी भी शर्त का उल्लंघन नहीं किया है, के पट्टों को सरकार या तो ऐसी शर्तों पर जैसा सरकार समय-समय पर निर्धारित करती है जारी रख सकती है या ऐसे पट्टों का निर्धारण कर सकती है। पट्टा अवधि की समाप्ति के बाद ऐसी भूमि समस्त विलंगमों से मुक्त होकर स्वतः राज्य सरकार में निहित हो जाएगी।इस अधिनियम के अंतर्गत नजूल भूमि का आरक्षण एवं उसका उपयोग केवल सार्वजनिक इकाईयों के लिए ही किया जाएगा।

सियासी मियार की रीपोर्ट