Monday , December 30 2024

कविता : लोगों का कद..

कविता : लोगों का कद..

-विनोद सिल्ला-

मेरे
आस-पास के
लोगों का कद
हो गया
उनके वास्तविक कद से
कहीं अधिक ऊँचा

विड़ंबना यह भी है
वो नहीं जानते
झुकना भी

इसलिए मैंने ही
करने पड़ेंगे
अपने चौखट-दरवाजे
उनके कद के अनुरूप

ताकि बचाया जा सके
रिश्तों को
दुर्घटनाग्रस्त होने से।।

सियासी मियार की रीपोर्ट