क्या बुमराह के बहाने चयनकर्ताओं पर निशाना साध रहे हैं इरफान पठान?

नई दिल्ली, 04 सितंबर। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व ऑलराउंडर इरफान पठान एक बार फिर से सुर्खियों में हैं। इस बार वे अपने बेबाक बयानों के लिए चर्चा में हैं, लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि क्या वे इन बयानों के जरिए चयनकर्ताओं और तत्कालीन कप्तान महेंद्र सिंह धोनी पर निशाना साध रहे हैं? हाल ही में उन्होंने वर्कलोड मैनेजमेंट पर अपनी राय रखी और जसप्रीत बुमराह का उदाहरण दिया, लेकिन उनका यह बयान उनके अपने करियर के अचानक खत्म होने की कहानी से जुड़ता हुआ दिख रहा है।
वर्कलोड मैनेजमेंट पर पठान का बयान
इरफान पठान ने हाल ही में सोनी स्पोर्ट्स के साथ बातचीत में वर्कलोड मैनेजमेंट पर अपनी राय साझा की। उन्होंने कहा कि जसप्रीत बुमराह जैसे खिलाड़ियों की फिटनेस का ध्यान रखना बहुत जरूरी है क्योंकि वे टीम के लिए ‘खजाना’ हैं। हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वर्कलोड मैनेजमेंट पर किसी सीरीज के बीच में चर्चा करना सही नहीं है। उन्होंने कहा, “जसप्रीत बुमराह भारतीय टीम के लिए एक खजाना हैं। उनका सही ढंग से ख्याल रखना बहुत जरूरी है, लेकिन जैसे ही कोई सीरीज शुरू होती है, उस दौरान वर्कलोड मैनेजमेंट पर चर्चा नहीं होनी चाहिए। सीरीज के बीच वर्कलोड मैनेजमेंट पर सोचने से मनचाहे नतीजे नहीं मिल पाएंगे।”
पठान ने इस मुद्दे पर ऑस्ट्रेलिया के कप्तान पैट कमिंस का उदाहरण भी दिया। उन्होंने कहा कि कमिंस एशेज से पहले कुछ सीरीज में हिस्सा नहीं ले रहे हैं ताकि वे उस महत्वपूर्ण सीरीज के लिए पूरी तरह से फिट रह सकें। उन्होंने कहा, “पैट कमिंस ने पहले ही अपने वर्कलोड को मैनेज करना शुरू कर दिया है। वह एशेज से पहले कुछ सीरीज में हिस्सा नहीं लेंगे। लेकिन जैसे ही एशेज शुरू होगी, तब सवाल यह होगा कि क्या पैट कमिंस अब भी अपने वर्कलोड को मैनेज करेंगे या फिर सीरीज जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक देंगे?”
धोनी और पठान के बीच की अनबन
इरफान पठान का यह बयान उनके पुराने बयानों की याद दिलाता है, जिसमें उन्होंने अपने करियर के अचानक खत्म होने पर दुख व्यक्त किया था। अक्सर यह माना जाता है कि 2012 में उनका अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर समाप्त होने में चयनकर्ताओं और टीम मैनेजमेंट के साथ-साथ तत्कालीन कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की भी अहम भूमिका रही। इरफान ने स्पोर्ट्स तक को दिए एक इंटरव्यू में बताया था कि 2008 के ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान मीडिया में यह खबरें थीं कि धोनी उनकी गेंदबाजी से खुश नहीं हैं। इरफान ने खुद धोनी से जाकर इस बारे में पूछा था, जिस पर धोनी ने कहा था कि ऐसा कुछ नहीं है और सब कुछ ठीक है। इरफान ने इस घटना का जिक्र करते हुए कहा कि बार-बार स्पष्टीकरण मांगना अपनी इज्जत पर असर डालता है।
‘हुक्का लगाने की आदत नहीं’
इरफान पठान ने धोनी पर तंज कसते हुए यह भी कहा कि उन्हें कप्तान को खुश करने की आदत नहीं थी। उन्होंने कहा, “मेरी आदत नहीं है कि मैं किसी के कमरे में हुक्का लगाऊं या खुशामद करूं। सब जानते हैं। कभी-कभी चुप रहना बेहतर होता है। एक खिलाड़ी का असली काम मैदान पर प्रदर्शन करना है और मैं उसी पर ध्यान देता था।” उनका यह बयान साफ तौर पर धोनी के प्रति उनकी नाराजगी को दर्शाता है।
करियर का अचानक अंत
इरफान पठान ने 2012 में अपना आखिरी वनडे मैच खेला था, जिसमें उन्होंने 5 विकेट भी लिए थे। इसके बावजूद, उन्हें दोबारा टीम में जगह नहीं मिली और उनका करियर अचानक थम गया। इरफान ने जब भारतीय टीम में एंट्री की थी, तब उनकी तेज गेंदबाजी और स्विंग से दुनिया के बड़े-बड़े बल्लेबाज परेशान थे। वे टेस्ट में हैट्रिक लेने वाले भारत के पहले तेज गेंदबाज भी बने थे। हालांकि, 2007 टी20 विश्व कप के बाद उनका प्रदर्शन धीरे-धीरे कमजोर होता गया और एक समय ऐसा आया जब आईपीएल में भी कोई टीम उन्हें खरीदने को तैयार नहीं थी।
इरफान पठान का यह बयान एक बार फिर से भारतीय क्रिकेट में वर्कलोड मैनेजमेंट, चयन प्रक्रिया और खिलाड़ियों के करियर पर टीम मैनेजमेंट के प्रभाव को लेकर बहस छेड़ता दिख रहा है। यह सवाल बना हुआ है कि क्या इरफान पठान अपने बयानों के जरिए बुमराह जैसे खिलाड़ियों की चिंता व्यक्त कर रहे हैं, या फिर वे अपने करियर के अंत की कहानी के लिए जिम्मेदार लोगों पर निशाना साध रहे हैं।
सियासी मियार की रीपोर्ट
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