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शादी से पहले मन में उठते सवाल…

शादी से पहले मन में उठते सवाल…

विवाह से पहले और रिश्ता तय हो जाने के बीच का समय किसी लड़की के लिए आनंददायक होने के साथ-साथ उसके मन में कई सवाल भी पैदा करता है। शादी केवल सजना-संवरना या घूमने-फिरने का नहीं बल्कि जिम्मेदारियां निभाने का नाम भी है।

माता-पिता के घर में लड़की लाडली बन कर रहती है। उसे किसी तरह की कोई टैंशन नहीं होती क्योंकि उसका काम होता है मां-बाप द्वारा दिए गए संस्कारों का पालन करते हुए स्वयं को शिक्षा के साथ-साथ घर के अन्य कामों में परफैक्ट बनाना। असली परीक्षा तो शुरू होती है शादी के बाद जहां चाहे बहुत प्यार करने वाले लोग हों लेकिन लड़की की जिंदगी में बहुत बड़ा परिवर्तन आना स्वाभाविक होता है क्योंकि उसे सभी सदस्यों के साथ सामंजस्य बिठा कर अपने आने वाले समय को सही बनाना होता है। इसलिए शादी से पहले एक लड़की के मन में ढेरों सवाल उठते हैं जो कभी-कभी डर में बदल कर उसके मन में खुशी के स्थान पर तनाव पैदा कर देते हैं।

सबसे पहले वह सिर्फ यह सोचती है कि उसकी सास कैसी होगी क्योंकि चाहे समय बदल गया है लेकिन सास की ऐसी एक छवि हर लड़की के मन में होती है कि उसके नाम से ही वह डर जाती है।

क्या करें: ऐसे में लड़की अपनी मां के बारे में, उनके व्यवहार के बारे में सोचे क्योंकि आखिर वह भी तो सास बनने वाली हैं। बस आप का डर रफूचक्कर हो जाएगा। आप अपनी सास में मां की छवि को देखें। कई बार ऐसा होता है कि जब हमें सास डांटती है तो हम बुरा मान जाती हैं लेकिन यह गलत बात है। हमें उस वक्त यह सोचना चाहिए कि हमारी मां भी तो हमें डांटती है, आखिर हमारे भले के लिए ही न। मां तो मां होती है अतः इस धारणा को मन से निकाल कर अपने खुशहाल दाम्पत्य की कामना करें।

यदि लड़की नौकरीपेशा है तो उसे यह डर रहता है कि क्या उसके ससुराल में सब उसे सहयोग देंगे? अपने करियर और शादीशुदा जिंदगी में क्या वह तालमेल बिठा पाएगी?

क्या करें: जब आपके माता-पिता आपकी शादी की बात चलाएं तो आप उन्हें साफ तौर पर बता दें कि वे लड़के वालों के सामने आपके करियर को लेकर एक स्पष्ट दृष्टिकोण रखें। जब आपको लड़के के साथ बैठने का मौका मिले तो उससे खुल कर इस विषय में बात करें क्योंकि जीवनसाथी के तौर पर आप दोनों ने इस रिश्ते को जिंदगी भर निभाना है। अपने मन में कोई दुराव-छिपाव न रखें। फिर देखें, आपका मन कितना हल्का हो जाएगा।

एक लड़की के मन में ऐसे सवाल अक्सर उठते हैं: परिवार में बाकी सदस्यों से सामंजस्य स्थापित कर पाऊंगी, ससुराल में छोटे-बड़ों को खुश रख पाऊंगी, कहीं कोई नाराज न हो जाए? अधिकतर देखा जाता है कि कोई न कोई एक-दो सदस्य हर परिवार में ऐसे होते हैं जो थोड़े गुस्से वाले होते हैं, उनसे मैं कैसे निभाऊंगी?

क्या करें: एक नए वातावरण में जाकर वहां एडजस्ट करना आसान नहीं होता। मन में पारिवारिक सदस्यों के प्रति व्यर्थ में कोई धारणा न बनाएं। कई बुजुर्ग ऐसे होते हैं जो समय के साथ स्वयं को नहीं बदल पाते, वे अपने समय के नियमों को साथ लेकर चलते हैं। जब आज की पीढ़ी उनके उन नियमों का समर्थन नहीं करती, तब उन्हें गुस्सा आ जाना स्वाभाविक है। आप अपनी मां को अपना आदर्श बनाएं। जानें कि कैसे प्यार से उन्होंने पूरे परिवार को एक डोर में बांध कर रखा है। इस बारे में मां से कुछ बातों की सीख लें। आपको सभी के लिए स्वयं को उस रूप में ढालना होगा, बाकी सब आपके रूप में नहीं ढलेंगे। अतः व्यर्थ के विचार मन से निकाल कर खुशी-खुशी सभी का दिल जीत लेने का विश्वास मन में रखें। यह सोच रखें कि दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है। अपनों का जब हो साथ तो फिर डर की क्या बात।

मेरे जीवनसाथी का स्वभाव कैसा होगा? पत्नी के रूप में क्या मुझे वह सम्मान और प्यार मिलेगा, जिसकी मैंने कामना की है? क्या मेरे होने वाले पति मेरे लिए उपयुक्त होंगे?

क्या करें: फिल्मों में देख कर या कहानियों में पढ़ कर हमारे मन में जीवनसाथी की छवि का एक ही पहलू हमारे सामने आता है कि वह प्यार करने वाला हो लेकिन आपको एक बात हमेशा याद रखनी होगी कि उस पर भी कई जिम्मेदारियां होंगी। केवल प्यार के सहारे सारी जिंदगी नहीं कट सकती। ऐसी ही कशमकश आपके जीवनसाथी के मन में भी चल रही होगी कि क्या वह आपको खुश रख पाएंगे? आपके लिए माता-पिता ने अच्छा वर ही चुना होगा। अवगुण तो हर इंसान में होते हैं, कुछ आप में भी होंगे तो इन बातों को अपने मन से निकाल फैंकें। खुशी-खुशी अपना दाम्पत्य संवारें। ‘कुछ वो बदलें कुछ आप’ वाला फंडा दिमाग में रखें। आपको ससुराल में बहुत-सी अपेक्षाओं से गुजरना पड़ेगा, कई भूमिकाएं निभानी पड़ेंगी तो सबको प्यार, मान-सम्मान और सेवा भावना से जीतने में विश्वास रखें। जब परिवार के सभी सदस्य आपसे खुश होंगे तो जीवनसाथी का सहयोग हमेशा आपके साथ रहेगा। हमेशा मन में जीवन के प्रति सकारात्मक सोच बना कर चलें।

सियासी मीयार की रिपोर्ट