भारतीय महिला को बचाने के लिए आदेश देने से हाईकोर्ट का इनकार…

नई दिल्ली, । यमन में एक व्यक्ति की हत्या के जुर्म में मौत की सजा का सामना कर रही केरल की निमिषा प्रिया को बचाने के लिए केंद्र सरकार को मृतक के परिवार से बातचीत करने का आदेश देने से हाईकोर्ट ने मंगलवार को इनकार कर दिया।
हाईकोर्ट ने एकल पीठ के उस फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसमें केंद्र सरकार को मृतक के परिवार को मुआवजा देकर निमिषा को फांसी की सजा से बचाने का आदेश देने की मांग को खारिज कर दिया था। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने एकल पीठ के आदेश के खिलाफ ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल द्वारा दाखिल अपील को आधारहीन बताते हुए खारिज कर दिया।
अपील में केंद्र सरकार को यमन की अदालत द्वारा दोषी ठहराकर भारतीय महिला को मौत की सजा दिए जाने के खिलाफ कानूनी उपाय करने, भारतीय कांसुलर सहायता और द्विभाषिया मुहैया कराने के साथ-साथ दोषी के परिवार की यात्रा की सुविधा प्रदान करने का आदेश देने की मांग की गई थी।
अदालत ने कहा, आप जाकर बात कीजिए : हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा है कि आपके मन में क्या है? आपको जाकर बातचीत करनी चाहिए, आपको कौन रोक रहा है। पीठ ने याचिकाकर्ता संगठन से कहा, वह यमन जाए और पीड़ित परिवार से बातचीत करे, हमें अपील में कोई आधार नहीं दिख रहा है।
क्या है मामला : अपील के अनुसार, निमिषा प्रिया यमन में बतौर नर्स काम कर रही थी। 2020 में उसे यमन के एक नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या के जुर्म में दोषी ठहराकर वहां की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है। महिला ने अपने बचाव में कहा था कि उसने जुलाई 2017 में महदी को बेहोश करने के लिए इंजेशक्शन लगाया था, ताकि वह अपना पासपोर्ट वापस पा सके। लेकिन ओवरडोज होने से उसकी मौत हो गई थी।
सियासी मीयार की रिपोर्ट
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