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घायलों को पूर्वी यूक्रेन से ट्रेन के जरिये पश्चिमी हिस्से में लाया जा रहा…

घायलों को पूर्वी यूक्रेन से ट्रेन के जरिये पश्चिमी हिस्से में लाया जा रहा…

कीव, 31 मई। पूर्वी यूक्रेन में भीषण लड़ाई में जख्मी हो रहे लोगों को इलाज के लिए विशेष ट्रेन के जरिये पश्चिमी हिस्से के अस्पतालों में ले जाया जा रहा है। सहायता संगठन ‘मेडिसीन सैन्स फ्रंटीयर्स’ (डॉक्टर विदआउट बॉर्डर) इस ट्रेन का संचालन कर रहा है। यह युद्धग्रस्त क्षेत्रों के पास स्थित शहरों और कस्बों के अस्पतालों की जंग में जख्मी लोगों से निपटने में मदद कर रहा है।

‘डॉक्टर विदआउट बॉर्डर’ (डीडब्ल्यूबी) के यासीर कमलेद्दीन ने कहा कि युद्ध के शुरू होने के बाद से ही पूर्वी यूक्रेन के अस्पतालों पर दबाव बहुत ज्यादा है। कमलेद्दीन ट्रेन के जरिये लोगों को सुरक्षित स्थानों पर अस्पतालों में ले जाने वाली संगठन की परियोजना के समन्वयक हैं। उन्होंने कहा, “इस गतिविधि का मकसद उन अस्पतालों की मदद करना है, जो युद्धग्रस्त इलाकों में स्थित हैं, ताकि वहां पर कुछ बिस्तर खाली रह सकें, जिससे लड़ाई में जख्मी लोगों और मरीजों को इलाज उपलब्ध कराया जा सके।’’

कमलेद्दीन ने कहा कि ट्रेन को 31 मार्च को शुरू किया गया था और यह अब तक करीब 600 लोगों को पश्चिमी यूक्रेन के सुरक्षित इलाकों के अस्पतालों में ले जा चुकी है। उन्होंने यह भी बताया कि रविवार को ही करीब 30 और लोगों को ट्रेन के माध्यम से ले जाया गया है। इनमें 40 वर्षीय मीकोला पसतुख भी शामिल हैं। वह शनिवार को सेवेरोदोनेत्स्क के पास मोर्टार फटने से जख्मी हो गए थे। यह विस्फोटक उनके पास तब आकर गिरा, जब वह शहर में मानवीय सहायता पहुंचाने की कोशिश कर रहे थे। रूसी बलों ने पूर्वी क्षेत्र में यूक्रेन के कब्जे वाले इलाकों को हासिल करने के लिए हमले तेज कर दिए हैं।

मीकोला ने प्लेटफॉर्म पर कहा कि उनके शरीर में अब भी धातु के टुकड़े फंसे हुए हैं। उनका ऑपरेशन करने की जरूरत है, लेकिन सेवेरोदोनेत्स्क के नजदीक स्थित लिसिचांस्क के अस्पताल में इसकी गुंजाइश नहीं है। इसलिए उन्हें पश्चिमी यूक्रेन के ल्वीव ले जाया जा रहा है, ताकि उनका ऑपरेशन किया जा सके। इसके अलावा बुजुर्ग और बीमार लोगों को भी ट्रेन के जरिये नियमित तौर पर पश्चिमी हिस्से के अस्पतालों में ले जाया जा रहा है। जंग की वजह से अस्पतालों में डॉक्टरों की भी कमी हो गई है। डॉ. इवान मोझाएव ने बताया कि पहले उनके यहां 10 सर्जन हुआ करते थे, लेकिन अब यह संख्या घटकर पांच रह गई है।

सियासी मियार की रिपोर्ट