Friday , January 10 2025

क्यूं मुझे लगता है ऐसा…

क्यूं मुझे लगता है ऐसा…

मुझे ऐसा लगता है की तुम्हें मुझसे बेपनाह…… हो गई है।
क्योंकि जब भी मेरी याद तुम्हें आती है
तुम गिनने लगती हो बाहर गमले में खिले फूलों को।
जब भी मैं तुम्हारी यादों में मुस्कराता हूं।
तुम पिंजरे के पास जाकर गोरैया को पुचकारती हो।
अक्सर मेरे फोटो को एकटक देख कर।
करती हो अनकही बातें जो तुम कभी न कह सकी।
बच्चों को अपने पास बैठा कर मेरी तरह।
कोशिश करती हो उन्हें जिंदगी के पाठ पढ़ाने की।
तुम्हारी हर अदा में हर बात में शामिल हो जाता हूं मैं।
अनजाने में तुम्हारे मुंह से मेरे शब्द निकलते हैं।
जब भी मंदिर में जाकर कान्हा की मूर्ति के सामने।
बंद आंखों में मुझे देख सिसक लेती हो।
लम्हा लम्हा सा बहता है जिंदगी का सफर।
सब रिश्तों से आंख बचा कर रो लेती हो।।

सियासी मियार की रिपोर्ट