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भारतीय संस्कृति के राजदूत हैं नरेन्द्र मोदी, विपक्ष करे अनुलोम-विलोम : राकेश सिन्हा…

भारतीय संस्कृति के राजदूत हैं नरेन्द्र मोदी, विपक्ष करे अनुलोम-विलोम : राकेश सिन्हा…

बेगूसराय, । राज्यसभा सदस्य प्रो. राकेश सिन्हा ने कहा कि नरेन्द्र मोदी सिर्फ प्रधानमंत्री और राजनेता नहीं, देश की संस्कृति के राजदूत हैं। मोदी आधुनिक भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं जो देश की अर्थव्यवस्था और कूटनीति के साथ-साथ संस्कृति को दुनिया में लेकर जाते हैं।

नौवें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा बेगूसराय के गांधी स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में राकेश सिन्हा ने आम लोगों के साथ योग करते हुए हर किसी को योग के माध्यम से निरोग रहने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने मस्तिष्क को ठीक रखने के लिए भारत के विपक्ष को भी योग करने की सलाह दिया।

उन्होंने कहा कि महर्षि पतंजलि ने योग की खोज किया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने योग को दुनिया में पहुंचा दिया। योग के प्रचार और इसकी व्यापक स्वीकृति ने भारत को वैश्विक स्वास्थ्य एवं कल्याण के क्षेत्र में एक सशक्त नेतृत्व के रूप में स्थापित किया है। यह दुनिया भर में मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में वसुधैव कुटुंबकम के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

जीवन शैली में योग बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। हम उन न्यूनताओं और व्याधियों से बच सकते हैं, जिससे इस भौतिक युग में समस्त समाज ग्रस्त है। भारत के विपक्ष को भी योग को अपनाने की जरूरत है। जिससे उनके व्यवहार और वाणी में संयम आए। आज पूरा देश-दुनिया योग मना रहा है, तो भारत की राजनीतिक व्यवस्था से जुड़े कुछ लोग इसका विरोध करते हैं।

उन्होंने कहा कि योग किसी संप्रदाय से संबंध नहीं रखता है। भारत अपनी उपलब्धियों पर सवाल करने की क्षमता रखता है, जिसके कारण राहुल गांधी से लेकर तेजस्वी यादव तक योग से नहीं जुड़ रहे हैं। यह लोग सहमति में असहमति पैदा कर रहे हैं। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव सहित पूरा विपक्ष अनुलोम-विलोम करे। जिससे उनका मस्तिष्क ठीक रहे और भारत की रचनात्मकता में अपनी भूमिका निभा सकें।

सम्राट अशोक ने अपने पुत्र महेन्द्र को और पुत्री संघमित्रा को भारतीय संस्कृति का प्रसार करने के लिए विदेश भेजा था। आज नरेन्द्र मोदी भारतीय संस्कृति के राजदूत बनकर देश दुनिया को प्रेरित कर रहे हैं। पूरी दुनिया में योग को पहुंचा दिया। जापान गए तो भगवत गीता दिया। अरब के शेख राजाओं से मिले तो चुरामन मस्जिद भेंट किया। बौद्ध धर्म के केंद्र में जाते हैं तो भारत की प्रयोग धर्मिता का चित्रण अपने भाषण, व्यवहार और संवाद से अभिव्यक्त करते हैं।

भारत अद्भुत प्रयोग भूमि है, हम प्रयोग धर्मी हैं। दुनिया की इस सर्वश्रेष्ठ भूमि के लोग नई-नई चीजों को जीवन में अपनाते हैं। अलग-अलग तरीके की जीवनशैली सीखते हैं तो चेतना विकसित होती है। साथ-साथ बोलना, साथ चलने का वैशिष्ट्य यही है। योग ज्ञान परंपरा का आभास कराता है। टाइम और स्टेज से बाहर जाकर चीजों को महसूस करना मेडिटेशन होता है। भारत की संस्कृति के विविधता सहित तीनों सूत्र योग से जुड़े हैं। भारत अपने ज्ञान परंपरा में बहुत आगे रहा है और हम भारत को उच्चतम श्रेणी पर ले जाने का संकल्प लें।

सियासी मियार की रिपोर्ट