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शिक्षकों ने समुदाय संग मिलकर बदली संविलियन सरसवा की रंगत, बना दिया बेमिसाल..

शिक्षकों ने समुदाय संग मिलकर बदली संविलियन सरसवा की रंगत, बना दिया बेमिसाल..

-शिक्षकों का सामूहिक प्रयास बना मिसाल, मिला सर्वश्रेष्ठ विद्यालय का खिताब

लखीमपुर खीरी, । खीरी में परिषदीय विद्यालयों की तस्वीर पूरी तरह से बदलने लगी है। जिले के प्राथमिक विद्यालय अब कान्वेंट स्कूलों को टक्कर देने लगे हैं। स्मार्ट क्लास, लाइब्रेरी से लेकर शानदार बुनियादी ढांचा प्राथमिक स्कूलों के आधुनिक होने दिशा में बढ़ते कदम हैं। प्रयासों का ही नतीजा है कि छात्रों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है खीरी जिले में परिषदीय विद्यालयों को आम से खास बनाने के लिए डीएम महेंद्र बहादुर सिंह ने अभिनव पहल “बेस्ट स्कूल आफ द वीक” मुहिम शुरू की, जिसके तहत लगातार नए प्रयोगों से अपना लोहा मनवाने वाले ब्लॉक धौरहरा के संविलियन विद्यालय सरसवा को अब उसकी खूबियों के लिए डीएम की अनूठी पहल “बेस्ट स्कूल ऑफ द वीक” के लिए चयनित किया।

स्कूल भवन के आकर्षण कक्ष, यूनिफार्म में पढ़ते नौनिहालो में शिष्टाचार, साफ सफाई के साथ विद्यालय परिसर में फूलबाड़ी सभी को अपनी ओर आकर्षित करती है। कंपोजिट विद्यालय सरसवा का नामांकन 256 है। और यहाँ शिव बचन राम मौर्य प्रधानाध्यापक एवं शिक्षक संकुल है। नीरज त्रिपाठी सहायक अध्यापक एवं एआरपी, आनंद कुमार गुप्ता व शिखा श्रीवास्तव सहायक अध्यापक, सविता वर्मा शिक्षामित्र के पद पर अपने दायित्वों का सम्यक निर्वहन कर रही है।विद्यालय का भौतिक और शैक्षिक परिवेश बहुत मनमोहक और आकर्षक है। सभी कक्षाओं में टाइल्स फर्नीचर पंखे आदि की अच्छी व्यवस्था है। वाल पेंटिंग, पुस्तकालय, टीएलएम का अच्छा उपयोग किया जाता है। स्वच्छ शौचालय, पीने के लिए आरओ का पानी की भी व्यवस्था है।

समुदाय सहयोग ने बदली विद्यालय की सूरत
प्रधानाध्यापक शिव बचन राम मौर्य बताते हैं कि विद्यालय प्रगति में एसएमसी व अभिभावकों का अभूतपूर्व सहयोग है। उपस्थिति और नामांकन में एसएमसी का बहुत अधिक योगदान रहता है। समुदाय से संपर्क के लिए वह स्वयं एवं एआरपी नीरज त्रिपाठी कटिबद्ध है। शिक्षक/एआरपी नीरज त्रिपाठी विद्यालय को जल्द से जल्द निपुण बनाने के लिए जी जान से लगे है। विद्यालय को इस तरह विकसित करने में लगे है कि अन्य विद्यालय प्रेरणा ले सकें। समय-समय पर बच्चों को पुरस्कृत करके प्रोत्साहित भी करते रहते है।

व्यक्तित्व विकास के कार्यक्रमों की भरमार
बच्चों को शिक्षित करती, स्कूल की दीवारें
विद्यालय को बाला कांसेप्ट पर विकसित करने का प्रयास किया गया, जिससे बच्चे विद्यालय की दीवारों पर बनी कलाकृतियों से सीख सके। प्रतिदिन बच्चों को नैतिक मूल्य व साफ सफाई के बारे में बताकर उनके चरित्र, व्यक्तित्व विकास का प्रयास कर रहे हैं। शिक्षक एक टीम के रूप में चाहते है कि उनके छात्रों को भी वो सब मिले जो वे अपने खुद के बच्चों को देना चाहते बेहतर भवन, खेल-सामग्री,रुचिकर पुस्तकें एक सहानुभूति भरा वातावरण,उज्जवल भविष्य। यह सब करने के लिए इच्छा शक्ति चाहिए। इनका प्रयास है कि ये सभी अपना संकल्प पूरा करे। अपने छात्रों को जीवन की चुनौतियों के लिए तैयार कर सकें।

कैसे बदली विद्यालय की सूरत
शिक्षकों का संकल्प है कि स्कूल को ब्लॉक और जनपद का सर्वश्रेष्ठ विद्यालय बनाना है, इसी संकल्प को साकार करने के लिए प्रधानाध्यापक के नेतृत्व में सभी शिक्षकों के मध्य दायित्व बांटे। शिक्षक अपने दायित्व को पूर्ण करने के लिए पूरे मनोयोग से कार्य कर रहे। शैक्षणिक गतिविधियां नामांकन, निपुण लक्ष्य की प्राप्ति बच्चों की उपस्थिति, अनुशासन, सांस्कृतिक खेलकूद गतिविधियां पुस्तकालय एवं वाचनालय सभी प्रकल्पों पर शिक्षक अभियान के रूप में कार्य कर रहे, जिसमें उन्हें अभूतपूर्व सफलता भी प्राप्त हुई। विद्यालय में शत प्रतिशत बच्चे यूनिफार्म में आते है। बीएसए एवं अन्य उच्च अधिकारी के औचक निरीक्षण में इस बिंदु की प्रशंसा मिली है। निपुण भारत मिशन के तहत प्रधानाध्यापक के नेतृत्व में शिक्षक आनंद गुप्ता, शिखा श्रीवास्तव, सविता वर्मा द्वारा लगातार नित नए प्रयोग करवाये जा रहे। संदर्शिकाओं, कार्यपुस्तिका का प्रयोग खेल-खेल में शैक्षणिक गतिविधियां से बच्चों को सिखाया जा रहा, जिससे बच्चों की अधिगम स्तर में वृद्धि हो रही।

सियासी मीयार की रिपोर्ट