Monday , September 23 2024

सपनों को पालें कहां तक…

सपनों को पालें कहां तक…

सपनों को पालें कहां तक
अपनों को संभाले कहां तक,
जो मेरी रूह के हर हिस्से में बसा
आखिर उसको निकाले कहां तक,
भूख ने उसके तोड़ दिए हैं दम को
फिर तो ढूंढे वह निवाले कहां तक,
नफरतों के उन्मादी बस्ती में बसकर
इंसानियत आखिर संभाले कहां तक,
इश्क में दिल से दिल जुड़ा करता है
लगेंगे मोहब्बत में ताले कहां तक,
तेरे सोहबत में मुझे मिला है बहुत कुछ
हम दिखाएं पाँव के छाले कहाँ तक।।

सियासी मियार की रेपोर्ट