मेरे अंगना खेले बांके बिहारी..
-आत्माराम यादव पीव-

रूनझुन रूनझुन बाजे पैजनिया
खेले है कान्हा आज मेरे आगनियां।
झुनक झुनक झुन बाजे करधनिया
झोली खुशी से भर गयी ओ साजनिया।।
उठता-गिरता कान्हा मुस्कुराता है
पैजनिया की रूनझुन से जी वो चुराता है।
लार टपकाता जग खजाना लुटाता है
रोने का बहाना कर खुद लूट जाता है।।
तिरछी सी चितवन से वह ठग लेता है
पीव गूंजती रून-झुन से जी भर देता है।
विश्व के रचयिता की लीला है न्यारी
मेरे अंगना खेले वह बांके बिहारी।।
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