धड़कन की आहट..
-राधा श्रोत्रिय ‘आशा’-

तुम हमारी धड़कन की, आहट जैसे हो,
हमारी सांसों में, जो महकती है, खुशबू,
कि गुलाब जैसे हो!
देखकर तुम्हें, जी उठते हैं हम,
तुम खुदा की, इबादत के,
जैसे हो!
लब से जो, गुज़री है, अभी आकर,
तुम मेरे, दिल की, दुआओं के,
जैसे हो!
दिल के फर्श पर, जो बिखरे हैं,
चाहत के, हसींन मोती,
तुम उनकी, जगमगाहट के, जैसे हो!
तुम्हारी छुअन पाकर,
खिल उठे हैं, जज्बात सनम,
कि तुम, फरिशते के, जैसे हो!
सौंप दिया ‘आशा’ ये जीवन ही, तुम्हें,
आती जाती सांसों की,
हर लय में तुम,
कि शब्दों की लिखावट के जैसे हो!
तुम हमारी धडकन की आहट जैसे हो,
हमारी सांसों में जो महकती है, खुशबू,
कि गुलाब जैसे हो!
सियासी मियार की रीपोर्ट
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