जोगन..
-विजय कुमार सप्पाती-

मैं तो तेरी जोगन रे, हे घनश्याम मेरे!
तेरे बिन कोई नहीं मेरा रे, हे श्याम मेरे!!
मैं तो तेरी जोगन रे, हे घनश्याम मेरे!
तेरी बंसुरिया की तान बुलाये मोहे
सब द्वारे छोड़कर चाहूं सिर्फ तोहे
तू ही तो है सब कुछ रे, हे श्याम मेरे!
मैं तो तेरी जोगन रे, हे घनश्याम मेरे!
मेरे नैनो में बस तेरी ही तो एक मूरत है
सावंरा रंग लिए तेरी ही मोहनी सूरत है
तू ही तो एक युगपुरुष रे, हे श्याम मेरे!
मैं तो तेरी जोगन रे, हे घनश्याम मेरे!
बावरी बन फिरू, मैं जग भर रे कृष्णा
गिरधर नागर कहकर पुकारूं तुझे कृष्णा
कैसा जादू है तुने डाला रे, हे श्याम मेरे!
मैं तो तेरी जोगन रे,हे घनश्याम मेरे!
प्रेम पथ, ऐसा कठिन बनाया, मेरे सजना
पग पग जीवन दुखो से भरा, मेरे सजना
कैसे मैं तुझसे मिल पाऊं रे, हे श्याम मेरे!
मैं तो तेरी जोगन रे, हे घनश्याम मेरे!
सियासी मियार की रीपोर्ट
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