साईकिल वाली लड़की.
-कैस जौनपुरी-

ये लड़की
जो हाथ में साईकिल पकड़े
मेरी आंखों के सामने खड़ी है
ये लड़की
जो इतनी खूबसूरत है
कि खुदा भी पछताया होगा
इसे जमीं पे भेजके
कि रख लिया होता इसे जन्नतुल-फिरदौस में ही
ये लड़की जिसकी आंखों में जिन्दगी की ताजा झलक है
ये लड़की जिसकी न जाने क्यूं झुकती नहीं पलक है
ये लड़की जो एकटक मुझे देखे जा रही है
ये लड़की जो पता नहीं क्यूं मुस्कुरा रही है
मैं सोचता हूं हिम्मत करूं
और कह दूं
लेकिन क्या?
किस अल्फाज से अपनी बात शुरू करूं
क्या इसे खूबसूरत कहूं
नहीं
खूबसूरत कहना ठीक न होगा
ये तो खूबसूरत से कहीं बढ़के है
क्या है? मुझे नहीं पता
लेकिन कुछ है जिससे नजर हटाने का मन नहीं करता
लेकिन ऐसे कब तक देखता रहूंगा?
कुछ तो कहना होगा
कुछ तो सुनना होगा
कि उसके मन में क्या है
अपने मन का तो मुझे पता है
क्या पता उसके मन में कुछ और हो
लेकिन क्या पता उसका मन खाली हो
खुले आसमान की तरह
और वहां जगह ही जगह हो मेरे लिए
जहां मैं हरी घास पे लेट जाऊं
और ये लड़की
मेरे सीने पे अपनी साईकिल चलाते हुए आए
और इसकी साईकिल का पहिया मेरी गर्दन के पास रुके
और फिर मैं पहिये की तीलियों के बीच से
इस नाजुक बला को निहारूं
और पूछूं
जान लेने का इरादा है क्या?
और फिर ये हंस दे
एक ऐसी हंसी जो आसमान तक गूंज जाए
जिसे फरिश्ते भी सुनके जलभुन जाएं
और खुदा से करें शिकायत
कि ये ठीक नहीं हुआ
जिसे हम जन्नत में देख सकते थे
वो जमीन पे साईकिल चला रही है
किसी और का दिल बहला रही है
मैं अपनी किस्मत पे इतराता हूं
मैं सोचता हूं काश ऐसा हो जाए
ये साईकिल वाली लड़की
अपने फेसबुक प्रोफाइल पिक्चर से बाहर आए
और मुझसे कहे
इतना ही मन हो रहा है
तो फ्रेण्ड रिक्वेस्ट क्यूं नहीं भेज देते?
सियासी मियार की रीपोर्ट
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