Tuesday , December 31 2024

कविता: रंगीन सपनों का रजिस्ट्रेशन.

कविता: रंगीन सपनों का रजिस्ट्रेशन.

-प्रेम किशोर ‘पटाखा’-

कुछ होते हैं सपने रंगीन
तो कुछ हसीन
कुछ सपने देखते नहीं
दिखाते हैं
सपनों ही सपनों में
आपको झुलाते हैं।

मंच पर आते ही वे
फूल मालाओं से लद गए
आगे-पीछे दाएं- बाएं
चमचों से बंध गए
चमचों ने आपको
कंधों पर उठाकर
जय-जयकार का नारा लगाया
उन्होंने आपको अपने
रंगीन सपनों में झुलाया

भोली जनता
उनके हसीन सपनों पर
फिदा हो गई
नेता जी के साथ
चमचों की भीड़ विदा हो गई
देवलोक में
मुनिवर नारद आपकी वीणा के तार
झनझना रहे हैं
भक्तों को रंगीन सपनों से रिझा रहे हैं

उधर जो लंबी लाइन
धरती से उठकर
आकाश की ओर आ रही है
बढ़ती हुई महंगाई का
चरित्र बता रही है
महंगाई की सीढ़ियों पर चढ़कर
एक हसीन सपना
चांद पर जा रहा है
सपने में चांद रोटी की तरह
नज़र आ रहा है
सपने के हाथ में
लकड़ी का पुल है
भीड़ बड़ी हाउसफुल है
आवाज़ आई
”यह लकड़ी का पुल
साहब की मेज पर टिकाना है
फाइल बंद पड़ी है
उसी को चलाना है
फाइल खुल गई है
पुल बन जाएगा
नहीं तो लकड़ी का चौखटा
पोल में जाएगा
आपकी तारीफ़ ?
” कविताएं करते हैं”
कल्पनाओं में कहते हैं
आपके पास कोई सपना है हसीन ?”

  • यहां तो सपनों की है मशीन
    सपना ही सुनते हैं
    सपना ही बुनते हैं
  • देश में बढ़ती हुई आबादी का
    कोई समाधान बताइए

सियासी मियार की रीपोर्ट