Friday , September 20 2024

लघुकथा : फायर्ड…

लघुकथा : फायर्ड…

-सविता गुप्ता-

पूरी दुनिया आर्थिक मंदी से गुजर रही है। हर देश में कर्मचारियों की छँटनी हो रही है। कई कंपनियां बंद हो गई या अपने काम गारों को सीधे फायरड कह कर नौकरी से निकाल दिया।

रोहित भी आर्थिक मंदी का शिकार हुआ, एक दिन मेल आया अगले महीने से काम पर आने की ज़रूरत नहीं। यूँ आर फायर्ड। रोहित को अंदेशा तो था क्योंकि कुछ महीनों से बॉस के आँखों का किरकिरी बना हुआ था।

नौकरी चले जाने से रोहित मन ही मन टूट गया था। काफी हाथ पैर मार रहा था, लेकिन कुछ नहीं हो पा रहा था। बैंक में रखे पैसों से घर का खर्चा चल रहा था।

नीतू पति को सांत्वना देती। खर्चों में भी काफ़ी कटौती कर दी थी। कामवाली को हटा दिया था, अपने पार्लर के और अन्य फ़ालतू के खर्चें भी बंद कर दिए थे। पूजा -पाठ की तरफ़ झुकाव बढ़ गया था। माहौल हल्का करने के लिए रोहित से हँसी ठिठोली करती ताकि रोहित चिंतामुक्त रहे।

रोहित को अकेले बैठे देखा, तो पास आकर कुछ रोमांटिक अंदाज में गुनगुनाते हुए चुहल बाज़ी करने लगी;तभी रोहित चिल्लाते हुए बोला “तुम्हें मज़ा आ रहा है ना, मेरी नौकरी चले जाने से”सब समझ रहा हूँ, मैं।

नीतू बाथरूम से कुछ देर से …मुँह धोकर निकली।

सियासी मियार की रीपोर्ट