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डिलीवरी के बाद 40 दिन तक लेनी चाहिए ऐसी डाइट, वरना हो जाएगी मुसीबत..

डिलीवरी के बाद 40 दिन तक लेनी चाहिए ऐसी डाइट, वरना हो जाएगी मुसीबत..

मां बनना दुनिया में सबसे बड़ी ब्लेसिंग है। क्योंकि नन्हें कदमों के घर में आते ही घर की रौनक बढ़ जाती है। मां के साथ साथ घर के सभी सदस्यों का ध्यान बच्चे की ओर चला जाता है। लेकिन ये भी सच है कि न्यू मॉम को प्रेग्रेंसी के टाइम में जितनी केयर की जरूरत थी, उतनी ही डिलीवरी के बाद भी। क्योंकि डिलीवरी के बाद महिला के शरीर में कई शारीरिक व भावनात्मक बदलाव होते हैं। ऐसे में सबके बच्चे की केयर में लगे रहने के कारण मां खुद को काफी अकेला फील करने लगती है, जो तनाव का कारण बनता है। ऐसे में खुद को हेल्दी रखने व पोस्टपार्टम डिप्रेशन से दूर रखने के लिए नीचे बताए कुछ टिप्स को फॉलो करना न भूलें।

डिलीवरी के बाद के 40 डेज अहम
आपको अपनी डिलीवरी के बाद भी अपनी डाइट का वैसे ही ध्यान रखने की जरूरत है, जैसे आप प्रेग्रेंसी के दौरान खुद का ध्यान रखती थीं। इसके लिए आपको पौष्टिक डाइट लेने की जरूरत है, जिससे शरीर को ताकत मिले। आप अपनी डाइट में दूध, दाल, हरी पत्तेदार सब्जियां, दलिया, मखाने, फ्रूट्स, पनीर शामिल करके फाइबर, प्रोटीन, कैल्शियम व आयरन की भरपूर मात्रा लें। छोटी-छोटी मील दिन में कई बार लें।

बॉडी को हाइड्रेट रखें
खुद को एक्टिव रखने व डिहाइड्रेशन से बचाने के लिए खूब पानी पिएं। क्योंकि ब्रेस्टफीडिंग के दौरान हर रोज आपके शरीर से 2.2 लीटर के करीब पानी चला जाता है। ऐसे में आपको रोजाना 4 लीटर के करीब पानी पीने की जरूरत है। कोशिश करें कि आप जब भी बच्चे को फीड करवाएं, उसके बाद थोड़ा पानी जरूर पिएं।

हैप्पी रहें
आपकी हेल्थ को ठीक रखने में आपके मूड का हैप्पी होना बहुत जरूरी है। तभी आप खुद के साथ साथ अपने बेबी का भी ख्याल रख पाएंगी। डिलीवरी के बाद मॉम का मूड स्विंग होना आम है। इसकी वजह है एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन हॉर्मोन में गिरावट आना। लेकिन आप हर चीज को पॉजिटिव वे में सोचकर खुद को खुश रख सकती हैं।

अगर आपका मिल्क बच्चे के लिए पर्याप्त नहीं है, तो आप ये सोचकर खुद को परेशान न करें , बल्कि डॉक्टर की सलाह लेकर अपने मिल्क के साथ अपने बेबी को फार्मूला मिल्क भी दें। बच्चे को अपने से चिपकाकर रखें, इससे भी आपको काफी खुशी मिलेगी।

अपनों से शेयर करें बातें
न्यू मॉम बनने पर आपको शुरुआत में थोड़ी मुश्किल जरूर आएगी। लेकिन आप इन प्रॉब्लम्स से अकेले ही नहीं लड़ें। आपको अपनी दिक्कतों को अपनों से शेयर करने में हिचकिचाना नहीं चाहिए। घर में अगर बड़े हैं तो उनसे शेयर करें, वरना जिनसे आप अपने मन की बात खुलकर कर सकते हैं, उन्हें अपनी परेशानियों से रूबरू करवाएं। निश्चित ही आपको अपनी समस्या का समाधान मिल जाएगा।

अकेले बच्चे की जिम्मेदारी न लें
मां बनने का मतलब ये नहीं है कि आप ही बच्चे की सारी जिम्मेदारी लें। उसे सुलाने से लेकर , उसे नहलाने, उसका डायपर चेंज करने या फिर रात भर आप ही जागें। बल्कि थोड़ी जिम्मेदारी अपने पार्टनर को भी दें, जिससे काम बंटेगा और आप भी थोड़ा रिलेक्स फील कर पाएंगी।

पूरी नींद लें
नींद पूरी नहीं होना भी स्ट्रेस का एक बड़ा कारण बनता है। ऐसे में भले ही आप पहले की तरह नहीं सो पा रही हैं, लेकिन अपनी नींद को कम्पलीट कर सकती हैं। जब भी आपका बच्चा सोए तो आप भी उसके साथ सो जाएं। इससे मन शांत होने के साथ आप खुद को एनर्जेटिक फील कर पाएंगी।

एक्टिव रहें
आपका खुद को एक्टिव रखना बहुत जरूरी है। इसके लिए खुली हवा में वॉक करें, योगा करें। जिससे आपकी बॉडी फिट रहने के साथ आपका स्ट्रेस कम होता है। असल में एक्सरसाइज करने से मस्तिष्क के फील गुड न्यूरोट्रांसमीटर के उत्पादन में वृद्धि होती है, जिन्हें एंडोर्फिन कहा जाता है।

मालिश बहुत जरूरी
जिस तरह से न्यू बोर्न को रोजाना मालिश की जरूरत होती है, ठीक उसी तरह आपको भी इसकी आवश्यकता है। क्योंकि इससे हॉर्मोन्स रेगुलेट होने के साथ शरीर की सूजन कम होती है। मिल्क प्रोडक्शन को बढ़ाने में भी मदद मिलती है।

दवाओं का खास ख्याल
दवाओं को समय पर लेना जितना प्रेग्नेंसी के वक्त जरूरी था, उतना ही प्रेग्रेंसी के बाद भी महत्वपूर्ण है। इसलिए इस समय डॉक्टर द्वारा प्रीस्क्राइब्ड दवाओं को टाइमली लें। क्योंकि डिलीवरी के बाद शरीर में विटामिन्स, आयरन व कैल्शियम की कमी को खाने पीने के साथ दवाओं से ही पूरा किया जाता है।

सियासी मियार की रीपोर्ट