कविता : बेटियाँ..

करीना दोसाद
पोसारी, गरुड़
बागेश्वर, उत्तराखंड
मैं वादा करती हूँ कि,
कभी ज़िद नहीं करूँगी,
मैं वो करूँगी जो आप कहोगे,
मैं आपके पैसे ज्यादा खर्च नहीं करूँगी,
क्यों ऐसा बोलती हैं बेटियाँ?
घर, परिवार और दुनिया के,
हर काम को संभालती है बेटियां,
हर आंगन को खुशियों से भर देती है बेटियाँ,
हर दुख का समाधान है बेटियाँ,
दया की एक मूरत है बेटियाँ,
सारे दुखों को भुला देती हैं बेटियां,
क्यों ये दुनिया नकारती है बेटियों को,
फिर भी सबसे आगे पाई जाती है बेटियाँ।।
सीएसी मियार की रीपोर्ट