दिल्ली: अधिवक्ता ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति संबंधी सहमति वापस ली..
नई दिल्ली, । उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम द्वारा न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत करने की सिफारिश किए जाने के बाद लगभग एक वर्ष तक केंद्र सरकार के पास मामला लंबित रहने के पश्चात एक अधिवक्ता ने दिल्ली उच्च न्यायालय में नियुक्ति संबंधी अपनी सहमति वापस ले ली है।
अधिवक्ता श्वेताश्री मजूमदार के नाम की सिफारिश पिछले वर्ष 21 अगस्त को शीर्ष अदालत के कॉलेजियम ने दो अन्य वकीलों के नामों के साथ दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए केंद्र को की थी।
अन्य दो अधिवक्ता अजय दिगपाल और हरीश वैद्यनाथन शंकर हैं।
केंद्र सरकार ने छह जनवरी, 2025 को दिगपाल और शंकर की नियुक्तियों को मंजूरी दे दी जबकि श्वेताश्री मजूमदार का नाम बिना किसी कारण बताए लंबित छोड़ दिया गया।
श्वेताश्री मजूमदार 2008 में स्थापित एक फर्म ‘फिडस लॉ चैंबर्स’ की प्रबंध भागीदार हैं।
वह बेंगलुरु स्थित ‘नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी’ की पूर्व छात्रा हैं और उच्च न्यायालयों तथा उच्चतम न्यायालय के समक्ष 500 से अधिक मामलों में पेश हुई हैं।
श्वेताश्री को दिल्ली उच्च न्यायालय की विभिन्न पीठों द्वारा अदालत मित्र नियुक्त किया गया है।
वह दिल्ली उच्च न्यायालय (मूल पक्ष) नियम, 2018 का मसौदा तैयार करने के लिए जिम्मेदार छह सदस्यीय समिति में काम कर चुकी हैं।
सियासी मियार की रीपोर्ट
Siyasi Miyar | News & information Portal Latest News & Information Portal