एस्टेरॉयड भले ही धरती से न टकराए लेकिन समंदर से आफत जरूर आएगी…

लंदन, 09 अगस्त । इस प्रकृति ने हमें बहुत कुछ दिया है, लेकिन इंसान उनकी कद्र करना नहीं चाहता। जैसे-जैसे विज्ञान आगे बढ़ा इंसान सिर्फ अपनी सुख-सुविधाओं के बारे में सोच रहा है। चाहे वहां पहाड़ों के टॉप पर व्यापार के लिए उन्हें काटना हो या फिर समंदर के किनारे भीड़ बढ़ाकर समुद्री जीव-जंतुओं को खत्म करना हो। इसका अब सीधा असर जलीय जीव पर दिखाता है। अगर ऐसा ही चलता रहा, तब एस्टेरॉयड भले ही धरती से न टकराए लेकिन समंदर से आफत जरूर आएगी।
ऑस्ट्रेलिया के ग्रेट बैरियर रीफ में हार्ड कोरल की मात्रा में तेज गिरावट आई है, जो हाल के रिकॉर्ड हाई लेवल से वापस लंबे समय के औसत के करीब है। ऑस्ट्रेलियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैरीन साइंस (एमआईएमएस) की रिपोर्ट में दी गई है। 39 साल से चल रहे सर्वे में बताया गया है कि ग्रेट बैरियर रीफ के 3 में से 2 क्षेत्रों में कोरल की सबसे बड़ी सालाना गिरावट देखी गई है। इस गिरावट की वजह साल 2024 की बड़ी ब्लीचिंग से हुए हीट प्रेशर, चक्रवात और क्राउन-ऑफ-थोर्न्स स्टारफिश के हमले शामिल हैं। वहीं उत्तरी क्षेत्र में कोरल औसत करीब 25 फीसदी गिरा है, जबकि केंद्रीय क्षेत्र में करीब 14 प्रतिशत की कमी हुई है। दक्षिणी क्षेत्र में करीब एक-तिहाई कोरल खत्म हो गया, जहां इतनी गंभीर ब्लीचिंग पहली बार हुई।
जलवायु परिवर्तन का असर: 15 सालों में हार्ड कोरल की मात्रा में जो अस्थिरता हुई है, उससे साफ होता है कि हमारा इकोसिस्टम प्रेशर में है। सबसे ज्यादा कम हुए हैं और यही कोरल क्राउन-ऑफ-थोर्न्स स्टारफिश का पसंदीदा भोजन हैं। एआईएमएस के 2025 सर्वे में 124 रीफ की जांच की गई, जिसमें अधिकांश रीफ में हार्ड कोरल 10-30 प्रतिशत था। 33 रीफ में 30-50 प्रतिशत, दो रीफ में 75 प्रतिशत से अधिक और दो रीफ में 10 प्रतिशत से कम हार्ड कोरल पाया गया। रिपोर्ट साफ तौर पर दिखाती है कि समुद्र का तापमान बढ़ने से ग्रेट बैरियर रीफ की कोरल समुदायों को बहुत बड़ा और तेज नुकसान हो रहा है।
लगातार घटते कोरल रीफ की स्थिति में ये बात अहम हो जाती है कि आखिर क्या होगा अगर कोरल रीफ पूरी तरह खत्म हो जाए। इसके परिणाम बहुत विनाशकारी होगा। समुद्री जीवों के खाने के लाले पड़ जाएंगे और बहुत से जीवों की फूड चेन ही टूट जाएगी। इसका सीधा असर सीफूड पर आजीविका चलाने वाले लोगों पर होगा और लोगों को खाने के लिए मछलियां नहीं मिलेंगी। इसके अलावा जो सबसे बड़ा असर होगा, वो ये है कि समंदर किनारे की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी। कोरल रीफ ही सुनामी, तूफानों और समुद्री लहरों के खिलाफ प्राकृतिक ढाल होती हैं। बाढ़ और भूमि कटान की घटनाएं बढ़ने लगेंगी। सबसे अहम बात ये है कि ये कोरल कार्बन डाइऑक्साइड खींचते हैं, इसके बाद इनके खत्म होने से क्लाइमेट चेंज बढ़ेगा और लोग ताजा हवा और सासों के लिए तरस जाएंगे।
सियासी मियार की रीपोर्ट
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