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चिप निर्माता कंपनी एनवीडिया एच-1बी वीजा प्रायोजित करती रहेगी : रिपोर्ट

चिप निर्माता कंपनी एनवीडिया एच-1बी वीजा प्रायोजित करती रहेगी : रिपोर्ट

वाशिंगटन, 09 अक्टूबर । अमेरिकी चिप बनाने वाली कंपनी एनवीडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जेंसन हुआंग ने अपने कर्मचारियों को भरोसा दिलाया है कि कंपनी आगे भी एच-1बी वीजा प्रायोजित करती रहेगी और आवेदन से जुड़ा पूरा खर्च वह खुद उठाएगी।

बिजनेस इनसाइडर की एक रिपोर्ट में, हुआंग ने कर्मचारियों को लिखे पत्र में कहा कि वह खुद भी एनवीडिया में काम करने वाले अनेक प्रवासियों में से एक हैं, और अमेरिका में मिले अवसरों ने उनके जीवन को गहराई से बदला है। उन्होंने लिखा, “एनवीडिया का जो चमत्कार आज हम देख रहे हैं, वह दुनिया के अलग-अलग देशों से आए प्रतिभाशाली लोगों के बिना संभव नहीं था। प्रवासन (इमिग्रेशन) ने ही हमें यह पहचान दी है।”

लेख में हुआंग के हवाले से कहा गया है कि कानूनी प्रवासन अमेरिका की तकनीकी और वैचारिक बढ़त बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी है, और हाल में ट्रंप प्रशासन द्वारा किए गए बदलाव भी इसे दोहराते हैं।

उन्होंने लिखा, “एनवीडिया में, हमने दुनिया भर के असाधारण लोगों के साथ अपनी कंपनी बनाई है, और हम एच-1बी आवेदकों को प्रायोजित करना और सभी संबंधित शुल्कों को वहन करना जारी रखेंगे। यदि आपके पास एच-1बी वीजा के बारे में कोई प्रश्न हैं, तो कृपया एनवीडिया-आव्रजन से संपर्क करें।”

19 सितंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक आदेश पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके तहत एच-1बी वीज़ा कार्यक्रम को काफी हद तक सीमित कर दिया गया और आवेदन शुल्क 1 लाख डॉलर (लगभग 83 लाख रुपये) कर दिया गया।

ट्रंप ने कहा कि इस फैसले का मकसद अमेरिकी नागरिकों को नौकरी के लिए प्राथमिकता देना है। वाणिज्य सचिव हावर्ड लटनिक ने भी इस नीति का बचाव करते हुए कहा कि इससे बड़ी कंपनियों द्वारा विदेशी कर्मचारियों को रखने की प्रवृत्ति कम होगी, क्योंकि अब उन्हें सरकार को भारी शुल्क देना पड़ेगा, जिससे विदेशी कर्मचारियों को रखना आर्थिक रूप से मुश्किल हो जाएगा।

इस कदम के खिलाफ अमेरिका में कई यूनियनों, शिक्षाविदों और संगठनों ने ट्रंप प्रशासन पर मुकदमा दायर किया है। उनका कहना है कि यह शुल्क “अभूतपूर्व, अनुचित और गैरकानूनी” है। शिकायत में कहा गया कि राष्ट्रपति को कांग्रेस द्वारा बनाए गए कानूनी ढांचे को एकतरफा बदलने का अधिकार नहीं है, और अपवादों का प्रावधान “पक्षपात और भ्रष्टाचार” का रास्ता खोल सकता है।

सियासी मियार की रिपोर्ट