सोलितानो फिल्मी मायाजाल नहीं, बल्कि जीता-जागता जन्नत का है टुकडा

रोम, 27 दिसंबर। हाल ही में नेटफ्लिक्स पर रिलीज एमिली इन पेरिस के पांचवे सीजन में जो चीज सबसे ज्यादा चर्चा बटोर रही है, वह एमिली के प्रेमी मार्सेलो का वो गांव है जिसे पर्दे पर सोलितानो कहा गया है। ऐसा जादुई सुकून जिसे देखकर आप लैपटॉप की स्क्रीन में घुस जाने को बेताब हो जाएं।
असल बात ये है कि सोलितानो कोई फिल्मी मायाजाल नहीं, बल्कि इटली के नक्शे पर मौजूद एक जिंदा-जागता जन्नत का टुकड़ा है, जिसका असली नाम है सोलोमियो। ये गांव जितना हसीन टीवी स्क्रीन पर नजर आता है, इसकी असलियत उससे कहीं ज्यादा दिलचस्प और प्रेरणा देने वाली है। ये कहानी सिर्फ एक खूबसूरत लोकेशन की नहीं है, बल्कि एक ऐसे शख्स की है, जिसने अपनी पत्नी के प्रेम और अपने गांव की मिट्टी का कर्ज उतारने के लिए करोड़ों का साम्राज्य इसी मिट्टी के बीच खड़ा कर दिया। तो चलिए जानते हैं उस गांव की कहानी, जिसने एमिली इन पेरिस को अपनी खूबसूरती तो दी ही, साथ ही दुनिया को तरक्की के साथ सुकून से जीने का मंत्र भी सिखाया। जिस तरह सीरीज में सोलितानो को एक लग्जरी कश्मीरी ब्रांड उम्बर्टो मुरातोरी का गढ़ दिखाया गया है, असल जिंदगी में यह सोलोमियो गांव दुनिया के मशहूर फैशन किंग ब्रुनेलो कुसिनेली का साम्राज्य है। मध्य इटली के पेरुगिया प्रांत में पहाड़ियों पर बसा यह छोटा सा गांव 12वीं शताब्दी का है। एक दौर था जब ये गांव पूरी तरह उजड़ने की कगार पर था, गलियां सूनी हो रही थीं, लेकिन तब ब्रुनेलो कुसिनेली ने ठाना कि वो इस गांव की रौनक को फिर से लौटा कर लाएंगे। पर ये कहानी सिर्फ बिजनेस या पैसों की नहीं है, इसके पीछे एक प्यारा सा लव एंगल भी है।
दरअसल, सोलोमियो ब्रुनेलो की पत्नी का जन्मस्थान है। 1980 के दशक में जब ब्रुनेलो ने सफलता की सीढ़ियां चढ़नी शुरू कीं, तो उन्होंने सबसे पहले यहां का एक पुराना महल खरीदा और उसे अपनी कंपनी का दफ्तर बना दिया। उन्होंने सिर्फ अपना ऑफिस नहीं चमकाया, बल्कि पूरे गांव की एक-एक ईंट को फिर से संवारा और सजाया। आज यहां की संकरी गलियां और पुराने पत्थर के घर उन मुसाफिरों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं हैं, जो इटली के असली और सुकून भरे ग्रामीण जीवन को करीब से महसूस करना चाहते हैं। अब बात करते हैं उस असली वजह की जिसने पर्दे वाले सोलितानो को इतना खास बना दिया, वो है वहां काम करने का निराला अंदाज। सीरीज में आप देखते हैं कि कैसे वहां हर कर्मचारी को पलकों पर बिठाया जाता है और सब एक परिवार की तरह साथ बैठकर लंच करते हैं। पर आपको जानकर हैरानी होगी कि सोलोमियो की हकीकत तो रील लाइफ से भी ज्यादा कूल है।
ब्रुनेलो कुसिनेली ने यहां एक ऐसा कारखाना बनवाया है जो लगभग पूरा कांच का बना है। अब आप सोच रहे होंगे कि भला फैक्ट्री भी कोई कांच की बनवाता है क्या? तो इसका जवाब बड़ा सिंपल है, ताकि वहां काम करने वाले लोग खुद को चार दीवारों में कैद न समझें, बल्कि सामने फैली हरियाली और कुदरत को देखते हुए कुछ नया और शानदार बना सकें। यहां का सबसे बड़ा नियम ये है कि शाम 5:30 बजे के बाद काम करना सख्त मना है। कुसिनेली का मानना है कि जो इंसान सूरज ढलने के बाद भी दफ्तर में घिस रहा है, उसकी रचनात्मकता और आत्मा दोनों मर जाती है। इतना ही नहीं, हर दिन दोपहर 1 बजे पूरे 90 मिनट का लंच ब्रेक होता है, जहां सब साथ बैठकर पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद लेते हैं। ये एक ऐसी दुनिया है जहां काम करना बोझ नहीं, बल्कि जीवन जीने का एक हिस्सा है। अगर आप पेरुगिया के आसपास हैं, तो एक दिन निकालकर सोलोमियो जरूर जाइए। यहां जाना पेरिस की भागदौड़ से दूर किसी ठहरी हुई दुनिया में कदम रखने जैसा है। यह गांव इतना छोटा और प्यारा है कि आप पैदल ही इसकी सुंदरता को देख सकते हैं। यहां उम्ब्रिया के ग्रामीण इलाकों के मनोरम दृश्य तो हैं ही, साथ ही आप सैन बार्टोलोमियो चर्च, ब्यूटी पार्क और कुसिनेली थिएटर भी देख सकते हैं।
खाने के शौकीनों के लिए यहां का हाथ से बना पास्ता और मौसमी ट्रफल किसी वरदान से कम नहीं है। स्थानीय वाइन का एक गिलास और सामने फैली पहाड़ियों की खूबसूरती। यकीन मानिए, उस पल आपको एमिली और मार्सेलो की याद तो आएगी, लेकिन आप खुद को वहां से वापस नहीं लाना चाहेंगे और हां, अगर जेब इजाजत दे, तो वहां के ब्रुनेलो कुसिनेली स्टोर जाना मत भूलिएगा, जहां कश्मीरी कपड़ों की बुनावट में आपको इस गांव की रूह महसूस होगी। सीरीज में सोलितानो तब वायरल होता है, जब एमिली की एक पोस्ट के बाद वहां पर्यटकों की भीड़ उमड़ पड़ती है। हकीकत में भी एमिली इन पेरिस के बाद सोलोमियो को लेकर लोगों में गजब की दीवानगी देखी जा रही है। लेकिन इस गांव की खासियत यह है कि यह आज भी अपनी शांति और सादगी को बचाए हुए है।
सियासी मियार की रीपोर्ट
Siyasi Miyar | News & information Portal Latest News & Information Portal