यूक्रेन में फंसे शाहजहांपुर के बच्चों की सकुशल वापसी की प्रार्थना कर रहे उनके परिजन…

शाहजहांपुर, 26 फरवरी (राम निवस शर्मा)। यूक्रेन में पढ़ाई करने गए उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले के कई बच्चों के वहां फंसे होने से यहां परिजनों में बेचैनी बढ़ गई है और लोग अपने-अपने बच्चों से मोबाइल फोन पर बातचीत कर उनका कुशलक्षेम पूछ रहे हैं। शाहजहांपुर शहर के डॉक्टर अब्दुल मजीद खान ने शुक्रवार को बताया कि उनकी बेटी इत्तेशाम खान उर्फ जिया यूक्रेन के विनेस्टिया शहर में रहकर एमबीबीएस कर रही है और आज सुबह ही बेटी से व्हाट्सऐप के जरिए उनकी बातचीत हुई है।
उन्होंने कहा कि ”मेरी बेटी मुस्कुरा रही थी पर हमारी अनुभवी आंखों ने पहचान लिया कि वह बहुत ही डरी हुई है।” डॉक्टर मजीद ने बेटी से हुई बातचीत के हवाले से बताया कि आज सुबह उनकी बेटी के हॉस्टल का इमरजेंसी सायरन बजा और सभी बच्चियां बाहर आ गई और फिर उन्हें बंकरों में शिफ्ट कर दिया गया। इसके बाद फिर कुछ समय बाद उन्हें हॉस्टल भेज दिया गया। एक कॉलेज के प्रधानाचार्य अमीर सिंह यादव की बेटी अंशिका भी यूक्रेन के विनेस्टिया शहर में ही एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है। यादव ने बताया कि आज सुबह 10 बजे उनकी बेटी से बात हुई तो अंशिका ने बताया कि भारतीय दूतावास की ओर से फार्म भरवाए गए हैं, ऐसी संभावना है कि भारत सरकार की ओर से बसों के माध्यम से बच्चों को पड़ोसी देश भेजा जा सकता है।
उन्होंने बताया कि इसके बाद पड़ोसी देश से हवाई जहाज के जरिए बच्चों को भारत लाया जाएगा, इससे हम लोगों को आस बंधी है। यादव ने अपनी बेटी अंशिका के हवाले से बताया कि यूक्रेन में कर्फ्यू जैसा माहौल है, वहां खाने पीने का सामान व दवाइयां नहीं मिल रही है तथा एटीएम से रुपये भी नहीं निकल रहे हैं, ऐसे में बच्चों को बहुत ही दिक्कत हो रही है। यूक्रेन के कई अलग-अलग शहरों में फंसे हजारों भारतीय छात्र-छात्राओं में मथुरा जिले के भी कई बच्चे शामिल हैं।
बरसाना निवासी जगदीश गोयल की पुत्री ने पिता को अपनी कुशलता बताते हुए ज्यादा चिंता न करने की बात कही। गोयल ने बताया कि उनकी बेटी वहां एमबीबीएस (चतुर्थ वर्ष) की छात्रा है तथा हॉस्टल में रहती है। वह इवानू में रहकर वहां के विश्वविद्यालय में पढ़ रही है और चार मार्च को उसे लौटना था, लेकिन इससे पूर्व ही रूसी सेना ने इवानू हवाई अड्डे पर हमला कर उसे पूरी तरह तबाह कर दिया है। इसी प्रकार नन्दगांव निवासी राजू अग्रवाल का पुत्र लक्ष्मण भी पिछले दो साल से वहां पढ़ रहा है। वह भी फंस गया है। वृन्दावन के निकटवर्ती गांव कीकी नगला निवासी हरिमोहन कुशवाह का पुत्र योगेश ड्निप्रो शहर में रहकर मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है।
उसने सोशल मीडिया के माध्यम से बताया कि वहां स्थिति बहुत भयावह है। युद्ध छिड़ने के पहले दिन से ही सुपर मार्केटों में राशन आदि रोजमर्रा की वस्तुओं के खरीदारों की लंबी-लंबी लाइनें लग गई हैं। छोटी से छोटी वस्तु के लिए मारा-मारी हो रही है। अभिभावक अपने बच्चों की कुशलता के लिए प्रार्थना कर रहे हैं और भारत सरकार से मांग कर रहे हैं कि वह जल्द ही उनके बच्चों को सकुशल भारत ले आएं।
सियासी मीयार की रिपोर्ट
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