गवाही में खामी पर दहेज प्रताड़ना के आरोपी बरी…

नई दिल्ली,। दहेज प्रताड़ना के एक मामले में अदालत ने आरोपी पति और सास को बरी कर दिया है। मामले में गौर करने वाला तथ्य यह था कि प्राथमिकी में दहेज प्रताड़ना के जो गंभीर आरोप लगाए गए थे, वे गवाही के दौरान अदालत में बताए ही नहीं गए। साथ ही गवाहों के बयानों में काफी भिन्नता थी। अदालत ने गवाहों के बयानों के मद्देनजर आरोपी सास और पति को दहेज प्रताड़ना के आरोप से बरी करने के निर्देश दिए हैं।
कड़कड़डूमा स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रितेश सिंह की अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष ने पीड़िता समेत उसकी मां व भाई को गवाह बनाया था। लेकिन तीनों की गवाही में कोई तारीख, समय अथवा प्रताड़ना के तरीके में ताल-मेल नहीं था। यहां तक कि शादी में दिए गए सामान व नकदी रकम को लेकर भी तीनों ने अलग-अलग बयान दिए। इससे दहेज प्रताड़ना की कड़ियां किसी भी तरह आपस में नहीं जुड़ रहीं। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि कानून का काम होता है साक्ष्यों के आधार पर दोष साबित करना, जबकि यहां कानून के मुताबिक कुछ तथ्य नहीं है। लिहाजा, आरोपियों को बरी किया जाना ही कानून संगत है। पेश मामले में पीड़िता ने आरोप लगाया था कि उसकी शादी 2008 में हुई थी। शादी के बाद से ही उसे दहेज के लिए मारा-पीटा जाने लगा। पिता ने कई बार मोटी रकम ससुरालवालों को दी पर उनकी मांग कभी खत्म नहीं हुई।
सियासी मीयार की रिपोर्ट
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