Saturday , September 21 2024

समझिए बेटी में बदलाव को…

समझिए बेटी में बदलाव को…

आप एक किशोरवय बेटी की मां हैं। अब आप उसमें आ रहे बदलाव से चिंतित हैं। आपको महसूस होता है कि अब वह अपनी बातें आपसे शेयर नहीं करती। उसे दोस्तों के साथ घूमना-फिरना, मस्ती करना, पार्टी करना पसंद है। आप उसे लाख समझाती हैं लेकिन वह समझने को तैयार नहीं है। आप खुद को असमर्थ पा रही हैं। ऐसी स्थिति में आपको क्या करना चाहिए, बता रही हैं हम…

आपकी बेटी देर रात तक बाहर रहना चाहती है और जाहिर सी बात है कि आप ऐसा नहीं चाहती। यदि आप उसे सीधे मना कर देती हैं तो वह अगली बार आपसे झूठ बोलेगी, वह गलत रास्ते पर चल पड़ेगी। इसलिए अच्छा तो यह है कि आप उसे किसी भी परिस्थिति के दोनों पहलुओं से अवगत कराएं।

यदि आप उसकी किसी बात को मानने से इनकार करना चाहती हैं या फिर उसे मना करना चाह रही हैं तो खुद दस बार सोचें। आप यह समझने की कोशिश करें कि समय के साथ कदम मिलाकर चलना आपकी बेटी की मजबूरी है वरना अपने दोस्तों के साथ नहीं चल पाएगी। इसलिए उसे किसी भी बात के लिए तभी मना करें जब आपके पास उसका सही कारण हो। संयम, धैर्य और मूल्य-ये तीन गुण ऐसे हैं जो किसी को भी ऊपर ले जाने की क्षमता रखते हैं। इन गुणों से बेटी को अवगत कराएं। पहले उसकी बात को समझें, उसकी सोच की तारीफ करें फिर अपना पहलू रखें।

यह समझें कि दोस्तों के साथ घूमना या पार्टी करना या फिल्में देखना कहीं से भी गलत नहीं है। आवश्यक तो यह है कि आपकी बेटी देर रात तक घर से बाहर न रहे। उसे समझाएं कि देर रात तक बाहर रहने से वह किसी हादसे से गुजर सकती है।  आपकी बेटी जब भी दोस्तों के साथ घूमकर वापस आए तो उससे बातें कीजिए। जानने की कोशिश कीजिए कि उसका समय कैसा बीता और उसने किस तरह से मस्ती की। उसे लगना चाहिए कि आपको उसकी बातों में रुचि है।

उसका फोन आता है तो आप पैरेलल लाइन पर उसकी बातें सुनती हैं। उसके मोबाइल को रोजाना चेक करती हैं। यह गलत है। यदि आपकी बेटी को इस बारे में पता लग गया तो उसका विश्वास टूट जाएगा, वह खुद को आपसे दूर समझेगी। इसलिए बेहतर तो यही होगा कि उसकी जासूसी करने की बजाय उसे इस काबिल बनाएं कि वह खुद के लिए सही फैसले ले सके। उसे यह समझ हो कि उसके लिए क्या सही है और क्या गलत।

अपनी बेटी के दोस्तों को जानने का सबसे सही तरीका है कि उन्हें घर पर बुलाएं। यूं ही नहीं बल्कि पार्टी देने के लिए। उस समय आपका बाहर जाना भी ठीक नहीं है और न ही सबके साथ वहीं बैठे रहना। अच्छा तो यह होगा कि आप दूसरे कमरे में चली जाएं और वहीं से सब पर नजर रखें। आपकी बेटी को महसूस होगा कि आप उसकी आवश्यकताओं को समझती हैं और उस पर भरोसा भी करती हैं। दूसरे, आप समझ पाएंगी कि आपकी बेटी के दोस्त उसके लिए ठीक हैं या नहीं।

बेटी पर अचानक अंकुश लगाना चाहती हैं तो यह ठीक नहीं। उसे लगने लगेगा कि अब आप उसके करीब नहीं रहीं। इसलिए उसे बढ़ती उम्र के बारे में समझाएं। उसकी सहेली बन जाइए, उसे समझाइए कि इस उम्र में लडकों के प्रति आकर्षण कितना सहज है, इसमें कुछ भी नया नहीं है। समय के साथ वह भी इसे समझने लगेगी। आप चाहें तो अपनी जिंदगी के कुछ पन्ने उसे बता सकती हैं। इससे आपकी बेटी खुद को आपके करीब समझेगी और आपसे भी अपने दिल की बातें बताएगी।

(फोर्टिस अस्पताल के मनोचिकित्सा विभागाध्यक्ष डॉ. समीर मल्होत्रा से बातचीत पर आधारित)

सियासी मीयार की रिपोर्ट