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पंत मामले के बाद जयवर्धने ने की नियमों में बदलाव की मांग..

पंत मामले के बाद जयवर्धने ने की नियमों में बदलाव की मांग..

मुंबई, 27 अप्रैल। मुंबई इंडियंस के कोच और आईसीसी हाल ऑफ़ फ़ेम महेला जयवर्धने का मानना है कि तक़नीक का बेहतर उपयोग करने के लिए वीडियो अंपायर और मैदानी अंपायरों के बीच अधिक से अधिक सूचनाओं का संचार होना चाहिए और इसके लिए अगर नियमों में कोई बदलाव होना हो, तो वह उसके भी पक्षधर हैं। जयवर्धने ने यह बयान पिछले हफ्ते दिल्ली कैपिटल्स और राजस्थान रॉयल्स के बीच हुए आईपीएल मैच में हुए ‘नो बॉल विवाद’ के संबंध में दिया है, जब मैदानी अंपायर ने दूसरी पारी के अंतिम ओवर में कमर के क़रीब आई फ़ुलटॉस को नो बॉल नहीं दिया था।

दिल्ली कैपिटल्स कैंप इसके बाद भड़क गया था। कप्तान ​ऋषभ पंत ने बेंच से अपनी अप्रसन्नता जाहिर की और सहायक कोच प्रवीण आमरे तो अंपायरों से निर्णय पर बात करने के लिए मैदान तक पहुंच गए, लेकिन अंत में मैदानी अंपायरों ने अपना फ़ैसला बरकरार रखा और वे रिव्यू के लिए वीडियो अंपायर के पास नहीं गए। मैच के बाद पंत और आमरे दोनों पर मैच फीस का 100 प्रतिशत जुर्माना लगा, वहीं आमरे पर एक मैच का प्रतिबंध भी लगाया गया। जयवर्धने ने इस पूरे घटनाक्रम को दुर्भाग्यपूर्ण कहा है।

आईसीसी की खेलने की परिस्थतियों के नियम 21.5 के मुताबिक, “तीसरा अंपायर गेंदबाज़ की फ़्रंटफ़ुट लैंडिंग को टेलीजिवन रिप्ले में रिव्यू कर सकता है और अगर वह असंतुष्ट है तो वह तुरंत गेंदबाज़ी एंड के अंपायर को नो बॉल का इशारा करने को कहते हैं।” हालांकि, इस नियम में तीसरे अंपायर द्वारा कमर से ऊपर की फ़ुलटॉस के बारे में रिव्यू को लेकर कुछ नहीं कहा गया है। जयवर्धने ने मांग की है कि आईपीएल की इस घटना को एक वेक-अप कॉल के तौर पर लेना चाहिए, जिससे भविष्य में वीडियो अंपायरों का अच्छे से इस्तेमाल हो सके।

जयवर्धने ने आईसीसी रिव्यू कार्यक्रम में संजना गणेशन से कहा, “यह आगे भी हो सकता है और हमें इस पर ध्यान देने की ज़रूरत है। क्या कोई ऐसा विकल्प है कि तीसरा अंपायर इन चीज़ों को देखे और मैदानी अंपायर को सूचित करे कि इस गेंद को चेक किया जाना चाहिए? यह देखकर दुख हो रहा था कि जब आप खेल रोक देते हो और लोग मैदान पर आ जाते हैं। लेकिन दिल से कहूं तो ये सिर्फ़ भावनाएं थीं जो अंतिम ओवर में पनप रही थीं। कुछ छक्के लग चुके थे और मैच रोमांचक हो गया था।” उन्होंने कहा कि निर्णय पर विवाद करने के लिए आमरे का मैदान में उतरना खेल के लिए अच्छा नहीं था।

जयवर्धने ने आगे कहा, “हालांकि नियम कहते हैं कि आप इन चीज़ों को चेक करने के लिए तीसरे अंपायर तक नहीं जा सकते हैं। किसी खिलाड़ी या कोच के लिए मैदान पर आने का विकल्प नहीं होता। हम कोचों के पास आईपीएल में टाइम आउट के दौरान मैदान पर आने का मौक़ा होता है और यही वह समय होना चाहिए जब कोच या कोई और मैदान पर आए।”

जयवर्धने ने कहा कि उन्होंने अपनी मुंबई इंडियंस टीम के साथ इस घटना पर चर्चा की और उन्हें एक मैच के दौरान अपने दायित्वों के बारे में याद दिलाया। उन्होंने कहा, “हमने यह सब टेलीविजन पर देखा। ज़्यादातर खिलाड़ी एक साथ मैच देख रहे थे और मैच के बाद हमने इस पर चर्चा की। हम भी हो सकता है कि डगआउट में इसी तरह से बर्ताव करते लेकिन मैदान पर जाना कोई विकल्प नहीं है। इस तरह से चीज़े नहीं होनी चाहिए और मुझे पूरी उम्मीद है कि पंत और आमरे को भी पछतावा होगा। मुझे लगता है पंत ने जो भी कहा वह भावनाओं में कहा और अब आगे बढ़ जाना चाहिए।”

सियासी मीयार की रिपोर्ट