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विदेशी बाजारों में तेजी के बावजूद बीते सप्ताह तेल-तिलहनों के भाव टूटे….

विदेशी बाजारों में तेजी के बावजूद बीते सप्ताह तेल-तिलहनों के भाव टूटे….

नई दिल्ली, 15 मई । विदेशी बाजारों में खाद्य तेलों के भाव तेज होने के बावजूद देश में आयात की मांग कमजोर रहने के बीच देशभर के तेल-तिलहन बाजारों में बीते सप्ताह अधिकांश तेल-तिलहनों की कीमतें अपरिवर्तित रुख के साथ बंद हुईं। कारोबार की मांग कमजोर होने के बावजूद सीपीओ और पामोलीन तेल के भाव सुधार दर्शाते बंद हुए।

बाजार सूत्रों ने कहा कि विदेशों में तेजी, आयात शुल्क मूल्य में वृद्धि और रुपया कमजोर होने के बावजूद अधिकांश तेल-तिलहनों के भाव अपरिवर्तित बने रहे। इंडोनेशिया द्वारा निर्यात प्रतिबंधित किये जाने के बाद देश के बंदरगाहों पर सीपीओ और पामोलीन तेल की आवक कम हुई है। इन आयातित तेलों की मांग भी नहीं के बराबर है जिससे पिछले साल के मुकाबले इस बार अप्रैल में आयात लगभग 13 प्रतिशत घटा है।

सीपीओ और पामोलीन तेल के मुकाबले विशेषकर उत्तर भारत में सरसों रिफाइंड भी काफी सस्ता है। सीपीओ और पामोलीन के केवल भाव ही भाव हैं, देश में इन तेलों की मांग न के बराबर है। स्थानीय उपभोक्ता आयातित तेलों की कमी को सरसों, मूंगफली, सोयाबीन और बिनौला जैसे तेलों से पूरा कर रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि बंदरगाह पर सोयाबीन डीगम तेल का भाव 158 रुपये किलो बैठता है जबकि बाजार में इस तेल का भाव 155 रुपये 50 पैसे किलो है। सोयाबीन डीगम तेल का आयात लाभप्रद नहीं बैठता।

इस बीच, हरियाणा के कैथल तेल मिल संघ ने अपने स्तर पर नकली बिनौला खली बनाने वालों को चेताया कि वे इन हरकतों को रोकें। कैथल तेल मिल संघ के अध्यक्ष, शिव नारयण गोयल ने बताया कि वह इस संदर्भ में राज्य सरकार का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं ताकि दोषी व्यक्तियों के खिलाफ उचित कार्रवाई हो क्योंकि इस नकली बिनौला खली का पशु चारे में उपयोग बेजुबान पशुओं के साथ अन्याय है।

सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन के डीऑयल्ड केक (डीओसी) की मांग कम होने से पिछले सप्ताहांत के मुकाबले सोयाबीन तिलहन के भाव में गिरावट आई जबकि खाद्य तेलों की साधारण मांग रहने से समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन तेलों के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे। सूत्रों ने कहा कि सरकार को राज्य सरकारों से अपील करना चाहिये कि उनकी खरीद एजेंसियां सस्ते में उपलब्ध सरसों का स्टॉक तैयार कर लें जो जरूरत के वक्त हमारे काम आये। आयातित तेलों की कमी को पूरा करने के लिए जिस बड़े पैमाने पर सरसों का रिफाइंड तैयार किया जा रहा है, उससे अधिक सरसों उत्पादन होने के बावजूद आगे जाकर सरसों को लेकर दिक्कत आ सकती है। तेल-तिलहन उत्पादन बढ़ाने की ओर ध्यान देना होगा तभी इस मामले में हम आत्मनिर्भर बनेंगे।

सूत्रों ने बताया कि पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 50 रुपये टूटकर 7,615-7,665 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल 100 रुपये टूटकर समीक्षाधीन सप्ताहांत में 15,300 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ। वहीं सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमतें भी क्रमश: 15-15 रुपये की हानि के साथ क्रमश: 2,405-2,485 रुपये और 2,445-2,555 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुईं। सूत्रों ने कहा कि विदेशी बाजारों में तेजी के बावजूद डीओसी मांग कमजोर होने से समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज के भाव क्रमश: 50-50 रुपये की हानि के साथ क्रमश: 7,000-7,100 रुपये और 6,700-6,800 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।

लेकिन साधारण मांग रहने के बीच समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन तेल कीमतें पूर्वस्तर पर बंद हुईं। सोयाबीन दिल्ली का भाव 17,050 रुपये, सोयाबीन इंदौर 16,500 रुपये और सोयाबीन डीगम का भाव 15,550 रुपये प्रति क्विंटल पर पूर्ववत बंद हुआ। पूर्व सप्ताहांत के बंद भाव के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहन के भाव भी हानि दर्शाते बंद हुए। मूंगफली दाना 75 रुपये, मूंगफली तेल गुजरात 150 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 6,885-7,020 रुपये और 15,850 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव भी 25 रुपये टूटकर 2,650-2,840 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।

समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी बाजारों में अधिक कीमत होने की वजह से कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव भी 150 रुपये सुधरकर 15,350 रुपये क्विंटल, पामोलीन दिल्ली का भाव 200 रुपये सुधरकर 16,950 रुपये और पामोलीन कांडला का भाव 120 रुपये सुधरकर 15,720 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल का भाव 150 रुपये टूटकर 15,600 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

सियासी मियार की रिपोर्ट