मेरा हिन्दुस्तान कहां है.

कभी जो रहता दिल में सबके,
जोश का वो तूफान कहां है।
पूछ रहा मन मेरा मुझसे,
मेरा हिन्दुस्तान कहां है?
लेकर शपथ ये इश्वर की,
करते हैं सिर्फ घोटाला ये।
घर में रबड़ी होती है,
खाते हैं फिर भी चारा ये।
जेल तो ससुराल है इनकी,
वहां भी चलती मनमानी है।
देख सुन कर भी हैं चुप,
ये कैसे हिन्दुस्तानी हैं।
जहां पे कलियां खिलती थीं,
मौत वहां अब हंसती है।
जहां अमन की बस्ती थी,
वहां आज जिन्दगी सस्ती है।
सबका मालिक एक है जब,
तो मजहब के नाम पे जंग है क्यों।
हर धर्म सिखलाता भाईचारा,
तो इंसा का दिल तंग है क्यों।
समय ने करवट ऐसी बदली,
लोग भूल गए हैं सब संस्कार।
सत्य अहिंसा बह गए दरिया में,
रह गया तो बस ये भ्रष्टाचार।
वीर मरते हैं सीमाओं पे,
और दरिन्दे बिरयानी खाते हैं।
सत्ता के मद में चूर कुछ लोग,
सोती जनता पे लाठियां चलवाते हैं।
रक्षक ही भक्षक बन बैठे,
अब किसपे करें विश्वास यहां।
सपना तो राम राज्य का था,
पर राम को मिला फिर वनवास यहां।
हे मालिक ये विनती है,
देश की फिर से वो शान लौटा दो।
गांधी सुभाष के सपनो का,
मुझे मेरा हिन्दुस्तान लौटा दो।।
सियासी मियार की रिपोर्ट
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