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नुकसान पहुंचा सकती हैं कब्ज की दवाएं…

नुकसान पहुंचा सकती हैं कब्ज की दवाएं…

धारणा है कि यह कब्ज ही की तो दवा है, इससे भला कहां कोई हानि होगी, लेकिन धारणा गलत है और इसीलिए इन दवाओं के सेवन के समय भी कुछ बातों पर चर्चा आवश्यक हो जाती है। आधुनिक जीवनशैली जिसमें प्रॉसेस्ड आहार के साथ शिथिल कार्यशैली शामिल है, कब्ज पैदा करने में सबसे बड़ा योगदान देती है। लोग देर से सोकर उठते हैं और देर रात को भोजन करते हैं। चीनी-मैदा-रिफाइंड का भोजन में खूब इस्तेमाल होता है। इसके अलावा कई दवाएं और अनेक बीमारियां या सर्जरियां भी कब्ज को जन्म दे सकती हैं।

कब्ज होने पर मलत्यागना मुश्किल व पीड़ादायक हो जाता है। इसके लिए अधिक देर तक प्रयास करना पड़ता है और कुछ लोगों के ऐसा करते समय रक्तस्राव भी हो सकता है। ऐसे में पहले डॉक्टर से चर्चा करके जीवनशैली में बदलाव करना सबसे आवश्यक पहल है। भोजन में यथासम्भव मोटे अनाज व रेशेदार फलों का सेवन कब्ज की आशंका को घटाता है। साथ की पानी का प्रचुर मात्रा में सेवन एवं नित्य व्यायाम करने से भी कब्ज कम ही देखने को मिलता है। कब्ज पर फतेह के लिए सोना-उठना-खाना-पीना-वर्जिश पहले है, दवा बाद में। कोशिश की जाए कि रोग पर प्रहार हर तरफ से हो। केवल गोली-सीरप का सेवन करते हुए कब्ज से लड़ना न अक्लमंदी है और न दूरदर्शिता।

लैग्जेटिव दवाएं खाने से भोजन के पोषण तत्व के अवशोषण में आती है समस्या : कब्ज-निवारक दवाएं यानी लैग्जेटिव कई तरह से कब्ज में फायदा पहुंचाती हैं। कुछ दवाएं बड़ी आंत से पानी का स्राव कराकर मल को मुलायम करती हैं। अन्य भोजन में मौजूद जल को सोख कर मल को फुला देती हैं। कुछ अन्य के कारण आंतों में नियमित संकुचन होता है, जिससे मल आसानी से गुदा से बाहर निकाल दिया जाता है। लेकिन इन कब्ज निवारक दवाओं के नियमित व लम्बे सेवन के कारण कई बार भोजन में मौजूद पोषक तत्वों के अवशोषण में समस्या आती है।

शरीर में ये तत्व उचित मात्रा में पहुंच ही नहीं पाते। कई लैग्जेटिव खनिज-लवणों जैसे कैल्शियम, क्लोराइड, पोटैशियम, मैग्नीशियम व सोडियम की कमी शरीर में पैदा कर देते हैं, जिनके कारण तरह-तरह के लक्षण उत्पन्न होने लगते हैं। कब्ज निवारकों के इस्तेमाल से पहले सतर्क रहना जरूरी

है और यथासम्भव अपने डॉक्टर से उनपर चर्चा करना भी। ध्यान रखना है कि क्या यह कब्ज निवारक रोगी की अन्य किसी दवा के साथ कोई इंटरैक्शन तो नहीं करता। कुछ बीमारियों में लैग्जेटिव लेने की मनाही होती है, ऐसे रोगों में इन दवाओं के सेवन से रोग की समस्या बढ़ सकती है। बच्चों एवं गर्भवती महिला में तो कोई लैग्जेटिव बिना डॉक्टर की राय के कभी देने ही नहीं चाहिए।

सियासी मीयार की रिपोर्ट