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लोकसभा के उपचुनाव क्यों नहीं कराए गए?

लोकसभा के उपचुनाव क्यों नहीं कराए गए?

लोकसभा की चार सीटें खाली हैं और चुनाव आयोग ने उन पर उपचुनाव नहीं कराए। क्यों नहीं कराए इसका बहुत अजीब सा जवाब चुनाव आयोग के पास है, जो उसने बॉम्बे हाई कोर्ट में दिया। बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुणे लोकसभा सीट को लेकर चुनाव आयोग पर बहुत सख्त टिप्पणी की है। पुणे की सीट भाजपा के सांसद गिरीश बापट के निधन से खाली हुई थी। बापट का निधन इस साल 29 मार्च को हुआ था। यानी जब उनके निधन से सीट खाली हुई तब उस सीट का कार्यकाल एक साल से ज्यादा बचा हुए था। फिर भी चुनाव आयोग ने उप चुनाव नहीं कराया। अब जबकि लोकसभा चुनाव की घोषणा होने में चार महीने का समय बचा है और लोकसभा का कार्यकाल भी छह महीने से कम का रह गया है तो बॉम्बे हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग को सख्ती के साथ कहा है कि वह पुणे सीट पर जल्दी से जल्दी उपचुनाव कराए।चुनाव आयोग इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी। सर्वोच्च अदालत से इस मामले में राहत मिल जाएगी और उपचुनाव नहीं कराना होगा लेकिन सवाल तो वहां भी पूछा जाएगा कि जब 29 मार्च को सीट खाली हुई तो उपचुनाव क्यों नहीं कराया गया? क्या वहां भी आयोग का यही तर्क होगा कि उसकी पूरी मशीनरी मार्च 2023 से ही 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों में बिजी थी इसलिए उपचुनाव नहीं कराए गए? जस्टिस गौतम एस पटेल और जस्टिस कमल आर खाटा की बेंच ने इस तर्क को अजीबोगरीब माना है और बहुत सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि किसी भी क्षेत्र को बिना प्रतिनिधित्व के नहीं छोड़ा जा सकता है। अदालत ने यहां तक कहा है कि यह पूरे संवैधानिक ढांचे को तहस-नहस करने जैसा है कि किसी क्षेत्र को बिना प्रतिनिधि के छोड़ दिया जाए।सोचें, चुनाव आयोग के इस तर्क पर कि उसकी पूरी मशीनरी एक साल से लोकसभा चुनाव की तैयारियों में बिजी है इसलिए पुणे लोकसभा सीट पर उपचुनाव नहीं कराए गए! पता नहीं अदालत के संज्ञान में यह बात लाई गई या नहीं कि चुनाव आयोग ने पुणे का चुनाव नहीं कराया लेकिन उसके बाद पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए और अनेक राज्यों में उपचुनाव हुए। मई में पंजाब की जालंधर लोकसभा सीट पर उपचुनाव कराया। उसके साथ ही ओडिशा, उत्तर प्रदेश और मेघालय में तीन विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव कराया। मई के बाद अगस्त में चुनाव आयोग ने झारखंड, केरल, पश्चिम बंगाल सहित छह राज्यों में सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव कराया। नवंबर में नगालैंड की एक सीट पर उपचुनाव हुआ। क्या तब चुनाव आयोग की मशीनरी लोकसभा चुनाव की तैयारियों में बिजी नहीं थी?महाराष्ट्र की पुणे सीट के अलावा देश में तीन और लोकसभा की सीटें खाली हैं। भाजपा के रतनलाल कटारिया के निधन से अंबाला सीट और कांग्रेस के बालूभाऊ नारायणराव धनोरकर के निधन से चंद्रपुर सीट खाली है, जबकि अफजल अंसारी को सजा होने की वजह से उत्तर प्रदेश की गाजीपुर सीट खाली है। ये तीनों सीटें मई में खाली हुईं। जहां तक मार्च में खाली हुई पुणे सीट का मामला है तो ऐसा लग रहा है कि किसी राजनीतिक मकसद से वहां चुनाव नहीं कराया गया। वहां के राजनीतिक हालात उथल-पुथल वाले हैं और उस समय तक एनसीपी का अजित पवार गुट टूट कर भाजपा के साथ नहीं गया था और राज्य में भाजपा व शिव सेना के एकनाथ शिंदे की सरकार के लिए पुणे सीट पर लड़ाई मुश्किल थी। तभी सवाल है कि क्या भाजपा की मुश्किल को देखते हुए चुनाव आयोग ने वहां उपचुनाव नहीं कराया?

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