मेरा सब कुछ अब तू ही मेरे मौला..
-विजय कुमार सप्पाती-

मुझे अपने रंग में रंग दे मेरे मौला
मुझे भी अपने संग ले ले मेरे मौला
जब हर कोई मेरा साथ छोड़ दे,
दुनिया के भीड़ में तन्हा छोड़ दे
तब जिन्दगी की तन्हाइयों में
एक तेरा ही तो साया,
मेरे साथ होता है मेरे मौला
मेरा सब कुछ अब तू ही मेरे मौला
मुझे अपने रंग में रंग दे मेरे मौला
मुझे भी अपने संग ले ले, मेरे मौला
प्रीत अब मुझे किसी से न रही
कोई अपना, कोई पराया न रहा
हर सुबह, हर शाम
बस एक तेरा ही नाम
अब मेरे होठों पर है मेरे मौला
मेरा सब कुछ अब तू ही मेरे मौला
मुझे अपने रंग में रंग दे, मेरे मौला
मुझे भी अपने संग ले ले, मेरे मौला
मेरी दुनिया में, अब मेरा मन नही लगता
यहां की बातों में कोई दिल नही बसता
सुना है तेरी दुनिया में बड़े जादू होतें है
तेरी दुनिया में चाहत की नदिया बहती है
मुझे भी अपनी दुनिया में बुला ले, मेरे मौला
मेरा सब कुछ अब तू ही मेरे मौला
मुझे अपने रंग में रंग दे, मेरे मौला
मुझे भी अपने संग ले ले मेरे मौला
मुझे अब किसी से कोई शिकवा नही,
अपना-पराया, सब कुछ छोड़ यही
व्यथित हृदय के साथ, तेरे दर पर आया हूं,
दोनों हाथों की झोली फैलाये हुए हूं
मेरी झोली अपने प्यार से भर दे मेरे मौला
मेरा सब कुछ अब तू ही मेरे मौला
मुझे अपने रंग में रंग दे, मेरे मौला!
मुझे भी अपने संग ले ले मेरे मौला!!
मेरा सब कुछ अब तू ही मेरे मौला!!!
सियासी मियार की रीपोर्ट
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