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किससे है ये परदादारी?

किससे है ये परदादारी?

चीन ने भारत के खिलाफ लगातार हमलावर रुख अपनाए रखा है, तो यह बात देश की जनता को मालूम होनी चाहिए, ताकि देश की सुरक्षा पर मंडरा रहे इस खतरे का मुकाबला करने के मुद्दे पर देश में आम सहमति तैयार हो सके। हैरतअंगेज है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीनी सैनिकों के साथ भारतीय जवानों की हुई दो मुठभेड़ों की खबर को भारतीय जनता से छिपाया गया। उन मुठभेड़ों में शामिल भारतीय जवानों को भारतीय सेना के बहादुरी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, लेकिन उन सैनिकों की वीरता की कहानी से संबंधित वीडियो को यूट्यूब पर डालने के बाद वहां से हटा लिया गया। खबर यह है कि जून 2020 में गलवान मुठभेड़ के बाद भी एलएसी पर चीन की सेना ने हमले किए। भारतीय सेना के बहादुरी पुरस्कारों के कुछ वीडियो से सामने आई है। खुद भारतीय सेना ने ये वीडियो यूट्यूब पर डाले। लेकिन बाद में ये वीडियो यूट्यूब से हटा लिए गए। क्यों? और ऐसा किसके आदेश पर किया गया? इतनी बड़ी घटनाओं को देश की जनता- यहां तक कि विपक्षी दलों से छिपाने के पीछे मकसद क्या है? चीन ने भारत के खिलाफ लगातार हमलावर रुख अपनाए रखा है, तो यह बात देश की जनता को मालूम होनी चाहिए, ताकि देश की सुरक्षा पर मंडरा रहे इस खतरे का मुकाबला करने के मुद्दे पर देश में आम सहमति तैयार हो सके। लेकिन ऐसा लगता है कि कोशिश चीन की कारगुजारियों पर परदा डालने की हुई है। इससे संदेह पैदा हुआ है कि मौजूदा समय में देश की सुरक्षा से ज्यादा अहम केंद्र सरकार की मजबूत छवि की रक्षा करना हो गया है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक जिन दो घटनाओं को छिपाया गया, उनमें एक सात जनवरी 2022 को हुई थी। तब एलएसी पर भारतीय सेना की एक चौकी पर पीएलए के कुछ सिपाहियों ने हमला कर दिया। चौकी पर तैनात सिख लाइट इन्फैंट्री की आठवीं बटालियन के सिपाही रमन सिंह ने चीनी सिपाहियों को रोका, जिसके बाद उनके बीच हाथापाई हुई। उसके बाद 27 नवंबर 2022 को पीएलए के 50 सैनिकों ने एलएसी पार करने की और भारतीय सेना की एक चौकी पर कब्जा करने की कोशिश की। जम्मू और कश्मीर राइफल्स की 19वीं बटालियन ने इन चीनी सैनिकों का मुकाबला किया। इस अभियान में सिंह घायल भी हो गए। इस बहादुरी के लिए उन्हें सेना मेडल दिया गया है।\सियासी मियार की रीपोर्ट