Sunday , November 23 2025

पीढ़ियां..

पीढ़ियां..

-जयचन्द प्रजापति ‘कक्कू’-

वे बच्चे
इंतजार करते हैं
जिनके पापा शहरों में रहते हैं
बड़ी आशा लिये
खड़े होकर टीले पर से
ताकते रहते हैं,
पैसा आयेगा
नया कपड़ा लूंगा
मेला देखने जाऊंगा
प्रबल भावनाएं लिये
बड़ी तीव्रता से
इंतजार में रहते हैं,
गांव के कोने में
डरे हुये
किसी की जमीन पर
टूटी झोपड़ी में रहते हैं,
उन्हें पापा का
सहारा नजर आता है
मां बच्चों के सहारे जीती है
पापा दोनों के लिये जीता है
इसी तरह से
वहां कई पीढ़ियां गुजर रहीं हैं।।

सियासी मियार की रीपोर्ट