Sunday , September 22 2024

ओटीटी ने ‘पंचायत’ के भूषण को बड़े संघर्ष के बाद बना दिया स्टार..

ओटीटी ने ‘पंचायत’ के भूषण को बड़े संघर्ष के बाद बना दिया स्टार..

मुंबई, 31 मई ‘पंचायत-3’ सीरीज 28 मई को अमेज़न प्राइम पर रिलीज़ हुई है। पहले दो सीजन की तरह तीसरा सीजन भी काफी लोकप्रिय है। फुलेरा गांव, एक सचिव, मुखिया और गांव की राजनीति पर आधारित यह सबसे लोकप्रिय सीरीज में से एक है। इसमें जितेंद्र कुमार, नीना गुप्ता, रघुबीर सिंह, फैसल मलिक की अहम भूमिका है। इसके साथ ही एक किरदार है, जो काफी मशहूर है, वो है भूषण। उनके डायलॉग ‘देख रहे हो बिनोद’ पर भी सैकड़ों मीम्स बन चुके हैं।

भूषण का किरदार निभाने वाले अभिनेता का नाम दुर्गेश कुमार है। ‘पंचायत’ में दुर्गेश कुमार अभिनीत भूषण फुलेरा गांव के शासकों का विरोध करने का कारण ढूंढते हैं। निर्माताओं ने इस किरदार को दूसरे सीज़न में पेश किया, यह किरदार बहुत लोकप्रिय हुआ। लेकिन दुर्गेश कुमार का इस स्टारडम तक का सफर बिल्कुल भी आसान नहीं था।

बिहार के दरभंगा जिले में जन्मे दुर्गेश ने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और दिल्ली पहुंचे। दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में थिएटर की पढ़ाई के दौरान वह एक स्कूल में पढ़ाते थे। मुंबई आने के बाद उन्होंने फिल्म ‘हाईवे’ में एक छोटी सी भूमिका से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की। बाद में उन्हें काम तो मिला, लेकिन सभी रोल छोटे-छोटे थे। ये दौर उनके लिए बहुत कठिन था। दुर्गेश का कहना है कि 2013 से 2022 तक नौ साल में वह दिए गए हर ऑडिशन में फेल हो गए। दुर्गेश ने कहा, “कास्टिंग डायरेक्टर कहते थे कि आपमें प्रतिभा है, लेकिन वह ऑडिशन में नहीं दिखती।”

इस मुश्किल वक्त में काम नहीं मिल रहा था और पैसों की जरूरत थी, इसलिए दुर्गेश को सॉफ्ट पॉर्न फिल्मों में काम करना पड़ा। दुर्गेश ने कहा था, “मैं अभिनय के बिना नहीं रह सकता, मैं अपनी क्षमताओं को जानता हूं और खुद पर विश्वास करता हूं, इसलिए जो भी मेरे सामने आया मैंने किया।”

कोरोना काल में मौका मिला
इतने सालों तक संघर्ष करने के बाद आखिरकार दुर्गेश को कोरोना काल में नौकरी मिल गई। उन्हें ‘पंचायत-2’ में भूषण की भूमिका के लिए चुना गया था। अब तीसरे सीजन में भी दुर्गेश का रोल काफी बड़ा है। दुर्गेश ने ओटीटी की वजह से काम मिलने पर खुशी जाहिर की है। अब हमें काम मिल रहा है, जो बड़ी बात है। वरना हम क्या करते, हमें कोई एक्शन शो में नहीं लेता। यह अच्छा लगता है कि कम से कम कॉमेडी हमें ऐसे मौके तो देती है।