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शिंगणापुर में शिला के रूप में प्रकट हुए थे शनिदेव, लोगों ने समझ लिया था भूत-प्रेत.

शिंगणापुर में शिला के रूप में प्रकट हुए थे शनिदेव, लोगों ने समझ लिया था भूत-प्रेत.

शनिदेव को कर्मफल दाता कहा जाता है। यह निम्न स्तर के व्यक्तियों के परम हितैशी होते हैं। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको शनिदेव के सबसे फेमस मंदिर शनि शिंगणापुर के बारे में बताने जा रहे हैं।

हिंदू धर्म में नवग्रहों का बहुत महत्व होता है। इन नवग्रहों में सबसे अधिक खतरनाक शनिदेव माने जाते हैं। व्यक्ति शनिदेव की कुदृष्टि से बहुत डरता है। क्योंकि जिस पर भी शनिदेव की कुदृष्टि पड़ जाती है, उसका समूल नाश हो जाता है। ऐसा व्यक्ति कितना ही धनवान या बलवान क्यों न हो, वह समस्याओं से घिर जाता है। शनिदेव अपने पिता भगवान सूर्यदेव के समान तेजस्वी और गुरु भगवान शिव के समान गंभीर हैं।

शनिदेव को कर्मफल दाता कहा जाता है, क्योंकि वह व्यक्ति को उसके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं। यह निम्न स्तर के व्यक्तियों के परम हितैशी होते हैं। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको शनिदेव के सबसे फेमस मंदिर शनि शिंगणापुर के बारे में बताने जा रहे हैं।

शिंगणापुर आई दिव्य शिला

महाराष्ट्र के अहमदनगर ज़िले में स्थित गांव शनि शिंगणापुर शनिदेव के मंदिर के कारण फेमस है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक श्रावण मास में अधिक वर्षा होने की वजह से जल स्तर काफी तेज था। बहते जलस्तर के साथ एक काले रंग की विशाल शिला शिंगणापुर तट पर रुक गई। कुछ समय बाद नदी किनारे गांव के बच्चे खेलने पहुंचे और उन्होंने कीचड़ व पत्थर से खेलना शुरूकर दिया। तभी एक बच्चे से गलती एक पत्थर उस काली शिला पर लग गया।

शिला से बहने लगी रक्तधारा

बताया जाता है कि पत्थर लगते ही शिला के एक जोरदार चीख सुनाई पड़ी और उससे एक रक्त की धारा बहने लगी। यह देख बच्चे डर गए और अपने घरों में भाग गए। इसके बाद बच्चों ने अपने घरवालों को यह भयावह दृश्य के बारे में बताया तो सभी गांव वाले उस शिला को देखने के लिए नदी किनारे पहुंचे। सभी लोग उस शिला को देखकर हैरान थे, तो वहीं कुछ गांव वाले उस शिला को भूत-प्रेत बताने लगे।

शनिदेव ने दिया स्वप्न

उस रात शनिदेव ने गांव के मुखिया के स्वप्न में आकर बताया कि वह उनके गांव में शिला के रूप में स्वयं पधारे हैं। यह सुन मुखिया ने अगली सुबह पूरा स्वप्न सभी ग्रामवासियों को बताया। जिसके बाद लोगों ने अधिक देर न करते हुए नदी के तट पर बैलगाड़ी लेकर पहुंचे। वहां पर शनिदेव की पूजा-अर्चना व स्तुति कर भावपूर्ण और सम्मान के साथ शिला को बैलगाड़ी में विराजमान किया और गांव में लाकर स्थापित किया।

यहां कभी चोरी नहीं होती

बता दें कि जिस दिन से शिंगणापुर से शनिदेव विराजमान हुए हैं, तब से यहां पर चोरी-डकैती आदि के कार्य नहीं होते हैं। यह विश्व का इकलौता ऐसा गांव हैं, जहां पर आपको घरों में दरवाजे देखने को नहीं मिलेंगे। बताया जाता है कि एक-दो बार चोरों ने शिंगणापुर में चोरी करने का प्रयास किया, लेकिन वह नाकाम रहे।

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