Saturday , September 21 2024

दिल्ली के आसपास के यह डेस्टिनेशन हैं वीकेंड के लिए परफेक्ट..

दिल्ली के आसपास के यह डेस्टिनेशन हैं वीकेंड के लिए परफेक्ट..

हर हफ्ते काम की टेंशन, घर की टेंशन, टेंशन के ऊपर भी टेंशन पर क्या आप जानते हैं टेंशन से बचने का सबसे अच्छा तरीका क्या है? नहीं जानते तो कोई बात नहीं हम आपको बताते हैं, कि हर हफ्ते की टेंशन से कैसे निजात पाई जाए। जी हां दोस्तों अगर आप भी साप्ताहिक भागम-भाग से थक चुके हैं और चाहते हैं कुछ आराम तो जाइए इन आकर्षण जगह पर जो दिल वालों के शहर दिल्ली से बस कुछ ही दूरी पर हैं। अपनी फैमिली, फ्रेंड्स या अपने पार्टनर के साथ आप वीकेंड को बना सकते हैं यादगार। यह हैं दिल्ली शहर के आस-पास के डेस्टिनेशंस जो हर तरह से हैं एकदम परफेक्ट, जहां आप अपनों के साथ खूब ढेर साड़ी मस्ती कर सकते हैं। तो देर किस बात की कर लीजिये तैयारी खुद को तरोताजा करने के लिए।

सैर करें दिल्ली के आस-पास के पर्यटन स्थल की…

मथुरा
भगवान कृष्ण की जन्म भूमि मथुरा को अंनत प्रेम की भूमि कहा जाता है। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण का बचपन और उनकी जवानी के कुछ दिन इसी ऐतिहासिक शहर में व्यतीत हुए हैं। जहां की गलियों में नंदलाल गोपियों संग खेले हैं। वीकेंड में आप मथुरा की सैर कर सकते हैं।

आगरा
मुगल काल में देश की राजधानी आगरा वर्तमान में देश की राजधानी दिल्ली से तकरीबन 200 किलोमीटर दूर है। जो अपने आलीशान ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाना जाता है। दुनिया का सातवां अजूबा कहा जाने वाला ताज महल इसी शहर की सर जमीं पर है। इतना ही नहीं यूनेस्को विश्व धरोहर में शामिल फतेहपुर सीकरी भी यहां शामिल है जो आगरा से कुछ ही दूरी पर है।

कुरुक्षेत्र
ऐतिहासिक और पौराणिक कहानियों से रचा कुरुक्षेत्र आज भी पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करता है। जहां पर्यटक इतिहास के बहुत से पहलुओं से रूबरू होते हैं। कुरुक्षेत्र के नाम का अर्थ है धर्म का क्षेत्र। इसी भूमि में महाभारत का ऐतिहासिक युद्ध लड़ा गया था।

फतेहपुर सीकरी
उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक शहर आगरा में यह धरोहर स्थित है जिसे फतेहपुर सीकरी कहा जाता है। जहां से मुगल बादशाह अकबर ने बहुत से ऐतिहासिक फैसले लिए थे। 1571 और 1583 में 16 वीं सदी में अकबर द्वारा निर्मित की गई थी। जो मुगल संस्कृति और सभ्यता का प्रतिक है।

अलवर
अरावली की पथरीली चट्टानों में बसा यह ऐतिहासिक शहर अलवर राजस्थान के मुख्य आकर्षणों में से एक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार पांडवों ने इसी स्थल पर 13 वां साल भेष बदलकर बिताया था, जब उस समय अलवर मत्स्य देश के नाम से जाना जाता था। इतिहास में यह स्थान मेवाड़ के नाम से भी जाना जाता था। यहां आकर आप अलवर खूबसूरती को सही से देख सकते हैं यहां के किले, झीलें और यहां का अद्भुत दृश्य देखने योग्य होता है।

सियासी मियार की रीपोर्ट