कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी के ट्रस्टियों ने जाति को संरक्षित श्रेणी में शामिल करने पर सहमति जताई…
वाशिंगटन, 26 जनवरी । कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी (सीएसयू) के न्यासियों ने मंगलवार को उस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी, जिसमें सीएसयू के सभी अनुबंधों के भेदभाव विरोधी खंडों में जाति को संरक्षित श्रेणी के रूप में शामिल करने की मांग की गई है।
दलित नागरिक अधिकार संगठन ‘इक्वेलिटी लैब्स’ के नेतृत्व वाले समर्थकों ने इस कदम को ऐतिहासिक करार दिया। यह कदम यूनिवर्सिटी प्रणाली से जुड़े भारतीय मूल के 80 से ज्यादा संकाय सदस्यों द्वारा इसका विरोध किए जाने के कुछ दिन बाद उठाया गया है। इससे सीएसयू के 23 परिसरों और आठ दूरस्थ केंद्रों की सभी प्रणालियां प्रभावित होंगी, जिनसे 55,909 संकाय सदस्यों और कर्मचारियों के अलावा 4,85,550 छात्र जुड़े हैं। मालूम हो कि कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी अमेरिका में चार वर्षीय प्रणाली पर अमल करने वाली सबसे बड़ी सरकारी यूनिवर्सिटी है।
‘इक्वेलिटी लैब्स’ की कार्यकारी निदेशक थेनमोजी सौंदरराजन ने कहा, ‘‘जाति प्रथा से उत्पीड़ित छात्रों और समुदाय के सदस्यों के साथ मजदूर आंदोलनों ने कंधे से कंधा मिलाकर अपनी सच्चाई बयां की, जिसके बलबूते यह जीत संभव हो पाई।’’
कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी के लगभग 112 संकाय सदस्यों और उनके लगभग 500 अकादमिक साझेदारों ने विभिन्न नागरिक अधिकार संगठनों व मजदूर संघों के साथ मिलकर एक समर्थन पत्र सौंपा था, जिसमें जाति को विश्वविद्यालय की भेदभाव विरोधी नीति में शामिल करने तथा ट्रस्टियों से बिना देरी किए इससे संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी देने की मांग की गई थी।
सैन जोस स्टेट यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ सोशल वर्क में सहायक प्राध्यापक रुवानी फोंसेका ने कहा कि यह कदम सीएसयू समुदाय के कुछ सबसे संवेदनशील सदस्यों को भेदभाव रहित बराबरी का माहौल दिलाने में बेहद अहम साबित होगा।
सियासी मियार की रिपोर्ट