खोड़ी गांव मामला : कब्जा पत्र जारी होने तक हर्जाना भरने की जिम्मेदारी स्थानीय निकाय की है : न्यायालय..

नई दिल्ली, । उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि खोड़ी गांव निवासियों की पुनर्वास योजना के तहत ईडब्ल्यूएस फ्लैट पाने के पात्र लोगों को कब्जा पत्र जारी होने तक उन्हें 2,000 रुपये प्रतिमाह हर्जाना देने की जिम्मेदारी फरीदाबाद नगर निगम की है।
गौरतलब है कि खोड़ी गांव के अरावली वन क्षेत्र में अवैध निर्माण के खिलाफ हुई ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के कारण वहां के कई परिवार बेघर हो गए।
नगर निगम की ओर से पेश वकील ने न्यायालय को बताया कि 1,027 आवेदक पात्र पाये गए हैं और उन्हें अप्रैल के अंत तक स्थाई फ्लैट आवंटित कर दिए जाएंगे।
न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर, न्यायमूर्ति ए. एस. ओक और न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार की पीठ को याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता ने बताया कि प्रोविजनल आवंटन के तहत कुछ पात्र आवेदकों को जो फ्लैट दिए गए हैं, वे रहने योग्य नहीं हैं।
कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख ने दलील दी कि हर्जाने का भुगतान (जोकि पहले छह महीने के लिए किया जाना था) उस वक्त तक जारी रहना चाहिए जब तक कि लोगों को रहने योग्य फ्लैट नहीं मिल जाते।
पीठ ने कहा, ‘‘पात्र लोगों को स्थाई आवास दिए जाने तक निगम उन्हें 2,000 रुपये प्रतिमाह का हर्जाना देता रहेगा और यह कब्जा पत्र जारी होने तक चलेगा।’’
पीठ ने कहा कि यह तथ्य कि परिसर रहने योग्य नहीं है, इसका नगर निगम के आयुक्त द्वारा सत्यापन कराया जाए और उसके बाद ही कब्जा पत्र जारी किया जाए।
सियासी मियार की रिपोर्ट
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