ये हैं गणेशजी के खास मंदिर, जहां पूरे साल विराजते हैं बप्पा और भक्तों के दूर करते हैं सभी विघ्न बाधा..

गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर बहुत से भक्तगण भगवान गणेश की प्रतिमा को घर पर स्थापित कर उनकी सेवा करते हैं। गौरीपुत्र गणेश को सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला देवता मना गया है। वैसे तो हिंदू धर्म में हर शुभ मौके पर सबसे पहले गणेश पूजन का किया जाता है लेकिन गणपति उत्सव के दौरान एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है। अगर आप गणपति उत्सव के मौके पर गणेशजी के खास मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं तो हम आपको कुछ ऐसे मंदिरों के बारे में बताते हैं, जहां दर्शन करने मात्र से जीवन के सभी विघ्न दूर हो जाते हैं और जीवन में मंगल ही मंगल रहता है। देशभर में गणेशजी कुछ ऐसे भी मंदिर हैं, जहां पर साल भर बप्पा के दर्शनों के लिए कतार लगती हैं। आइए जानते हैं गणेशजी के खास मंदिरों के बारे में…
सिद्धिविनायक मंदिर, मुंबई
भगवान गणेश को समर्पित यह मंदिर मुंबई के प्रभादेवी इलाके में है। यह देश-दुनिया में बहुत प्रसिद्ध है। इसका निर्माण 1801 में हुआ था। गर्भगृह में स्थित भगवान की प्रतिमा में सूंड का दायीं ओर झुकाव सबसे खास बात है। यहां पर देश से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग आते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी भी होती हैं। इस मंदिर के गर्भगृह के लकड़ी के दरवाजे अष्टविनायक को दर्शाते हैं। गणेश चतुर्थी के मौके पर इस मंदिर को भव्य तरीके से सजाया जाता है।
चिंतामन गणेश मंदिर, उज्जैन
चिंतामन गणेश मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है। यह मंदिर क्षिप्रा नदी के किनारे बना है। भगवान गणेश को चिंताहरण भी माना जाता है, जिसका मतलब है सभी चिंताओं और दुखों का हरण करने वाला। महाकाल की नगरी में स्थित इस मंदिर के गर्भगृह में भगवान गणेश की तीन प्रतिमाएं स्थापित हैं, इनमें से एक हैं चिंतामण, दूसरे इच्छामन और तीसरी सिद्धिविनायक गणेशजी की प्रतिमा स्थापित है।
मोती डूंगरी मंदिर, जयपुर
जयपुर में स्थित मोती डूंगरी गणेश मंदिर को 18वीं सदी में सेठ जय राम पालीवाल ने बनवाया था। मान्यता है कि मंदिर में स्थित भगवान गणेश की मूर्ति 500 साल से भी ज्यादा पुरानी है। सिंदूरी रंग से बनी गणेशजी की प्रतिमा की सूंड दाईं ओर है। यहां गणेश चतुर्थी पर भव्य आयोजन होता है। इस मंदिर का नाम यहां की पहाड़ी मोती डूंगरी के नाम पर पड़ा है। डूंगरी का मतलब छोटी पहाड़ी से है।
त्रिनेत्र गणेश मंदिर, रणथंभौर
हिंदू धर्म में सर्वप्रथम पूजन त्रिनेत्र भगवान गणेश का होता है। त्रिनेत्र गणेश को समर्पित यह मंदिर है राजस्थान के रणथंभौर किले में। कहा जाता है कि यह मंदिर 100 साल से भी ज्यादा पुराना है। हर साल भगवान गणेश का आशीर्वाद पाने के लिए हजारों भक्तजन अपनी चिट्ठियां और शादी के न्योते इस मंदिर में भेजते हैं। यह गणेशजी का ऐसा मंदिर हैं, जहां वे अपने पूरे परिवार यानी दो पत्नी- रिद्दि और सिद्दि एवं दो पुत्र- शुभ और लाभ, के साथ विराजमान है।
मनकुला विनयगर मंदिर, पुडुच्चेरी
पुडुच्चेरी के इस मंदिर का पूरा नाम है अरुलमिगु मनकुला विनयगर मंदिर। यह दक्षिण भारत का प्राचीन मंदिर है। ऐसी मान्यता है कि यहां पर एक संत भी रहा करते थे, जिनकी चमकती आंखें थीं और चौड़ा माथा था। उन्होंने यहीं पर समाधि ली थी। इस मंदिर का इतिहास 1666 साल से भी पुराना बताया जाता है। इस मंदिर में भगवान गणेश के दर्शन करने से सभी कष्ट और विघ्न दूर होते हैं और सभी तरह की इच्छा भगवान गणेश पूरी करते हैं।
श्री महागणपति मंदिर, केरल
श्री महा गणपति मंदिर केरल का सबसे प्रमुख गणपति मंदिर है और यह मधुरवाहिनी नदी के पास स्थित है। यहां पर कोट्टरक्का श्री महागणपति क्षेत्रम पिलग्रिम सेंटर कॉम्प्लेक्स है, जिसमें भगवान शिव, मां पार्वती, भगवान गणेश, भगवान मुरुगन, भगवान अयप्पन, नागराजा के मंदिर हैं। हालांकि मुख्यतौर पर भगवान गणेश की पूजा यहां पर होती है। बताया जाता है कि यह मंदिर 10वीं शताब्दी का है।
दगदुशेठ मंदिर, पुणे
श्रीमंत दगदुशेठ हलवाई गणपति मंदिर महाराष्ट्र का बहुत लोकप्रिय गणेश मंदिर है, आम बोलचाल में इस मंदिर को दगड़ू शेठ का मंदिर के नाम से जाना जाता है। इसे चलाने वाला ट्रस्ट भी महाराष्ट्र का सबसे धनी ट्रस्ट माना जाता है। यहां पर भगवान की प्रतिमा सोने की है। इस मंदिर का निर्माण श्रीमंत दगदुशेठ हलवाई ने करवाया था। बताया जाता है कि स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने इसी मंदिर से गणेश उत्सव की शुरुआत की थी।
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