उपराज्यपाल सक्सेना ने अनियमितताओं के मद्देनजर दिल्ली चिकित्सा परिषद को भंग करने की मंजूरी दी..

नई दिल्ली, 19 जून। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने कथित अनियमितताओं के मद्देनजर दिल्ली चिकित्सा परिषद (डीएमसी) को भंग करने के मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता नीत सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को परिषद के पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू करने और दो महीने के भीतर प्रक्रिया को पूर्ण करने का निर्देश दिया।
दिल्ली चिकित्सा परिषद एक स्वायत्त वैधानिक निकाय है, जो राष्ट्रीय राजधानी में चिकित्सा पद्धति को विनियमित करने के लिए जिम्मेदार है। परिषद यह सुनिश्चित करती है कि मरीज की सुरक्षा के लिए निजी चिकित्सक नैतिक मानकों को बनाए रखें।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने डीएमसी अधिनियम, 1997 की धारा 29 के तहत निकाय पर नियंत्रण की मांग करते हुए सक्सेना को एक प्रस्ताव भेजा था। प्रस्ताव में एक निश्चित अवधि के लिए परिषद को भंग करने की सिफारिश की गई थी।
सक्सेना ने विभाग को भेजे गए एक पत्र में उल्लेख किया कि डीएमसी ने बिना सरकार की मंजूरी के रजिस्ट्रार की सेवानिवृत्ति की आयु एकपक्षीय तरीके से 60 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष कर दी और एक दिसंबर, 2024 से उनका कार्यकाल एक और वर्ष के लिए बढ़ा दिया।
उपराज्यपाल ने कहा कि इस वर्ष फरवरी में जारी किए गए कारण बताओ नोटिस का जवाब देते हुए परिषद ने बताया कि संबंधित अधिकारी ने तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया है लेकिन और कोई विवरण साझा नहीं किया। सक्सेना ने कहा कि परिषद ने अधिनियम द्वारा प्रदत्त शक्तियों का ‘दुरुपयोग’ किया है।
उपराज्यपाल ने दिल्ली चिकित्सा परिषद को भंग करने के स्वास्थ्य विभाग के प्रस्ताव से सहमति जताई। सक्सेना ने यह भी निर्देश दिया कि परिषद के दो पदेन सदस्य इसमें बने रह सकते हैं और इस बीच डीजीएचएस को रजिस्ट्रार की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
सियासी मियार की रीपोर्ट
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