फिल्म अनमोल घड़ी हमारी भाषा, संस्कृति और विरासत को समृद्ध करने का सशक्त प्रयास : चेतना झाम…

समस्तीपुर, 23 जून । फिल्म निर्माता चेतना झाम का कहना है कि उनकी आने वाली भोजपुरी फिल्म ‘अनमोल घड़ी’ सिर्फ एक मनोरंजक फिल्म नहीं बल्कि हमारी भाषा, संस्कृति और विरासत को समृद्ध करने का भी एक सशक्त प्रयास है।
बिहार के समस्तीपुर जिले में इन दिनों भोजपुरी फिल्म अनमोल घड़ी की शूटिंग हो रही है, जो खासकर युवाओं के मन, विचार, बुद्धि और उनके जीवन के निर्णायक मोड़ों को केंद्र में रखकर बनाई जा रही है। फिल्म की निर्माता चेतना झाम ने बताया कि यह फिल्म समाज के उन 12वीं पास छात्रों की कहानी कहती है, जिनमें कुछ जीवन में सफल हो पाते हैं जबकि कुछ दिशा भटक जाते हैं। उन्होंने कहा कि यह फिल्म युवाओं को सकारात्मक दिशा में प्रेरित करने का काम करेगी। चेतना झाम ने साफ शब्दों में कहा कि यह सिर्फ एक मनोरंजक फिल्म नहीं बल्कि हमारी भाषा, संस्कृति और विरासत को समृद्ध करने का भी एक सशक्त प्रयास है, जिसमें मीडिया की भी अहम भूमिका होगी।
चेतना झाम ने बताया कि फिल्म ‘अनमोल घड़ी’ में अधिकतर कलाकार और तकनीकी टीम समस्तीपुर से ही हैं, जिससे स्थानीय प्रतिभाओं को आगे आने का मौका मिल रहा है। उन्होंने भोजपुरी भाषा की वर्तमान स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षों में इसकी गरिमा को ठेस पहुंची है, लेकिन स्कमाखी एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड इस स्थिति को बदलने के लिए प्रतिबद्ध है। उनका लक्ष्य है कि भोजपुरी में साफ-सुथरी, पारिवारिक और प्रेरणात्मक फिल्में बनाई जाएं जो युवाओं से जुड़ सकें और समाज में सकारात्मक प्रभाव डालें।
चेतना झाम ने स्पष्ट बताया कि उनका सपना है कि बिहार के कलाकारों को अपने ही राज्य में पर्याप्त अवसर मिले और उन्हें बाहर जाकर संघर्ष न करना पड़े। उनकी सोच है कि अपनी माटी में रहकर ही कलाकार अपनी सांस्कृतिक विरासत को संजो सकते हैं और बिहार का नाम रोशन कर सकते हैं।
इस अवसर पर फिल्म के निर्देशक चंद्रकांत पांडे ने भी चेतना झाम की सराहना करते हुए कहा कि यह फिल्म बिहार के गौरव को बढ़ाने वाला एक बेहतरीन प्रोजेक्ट है और चेतना की सोच निश्चित तौर पर आने वाली पीढ़ियों के लिए नई राह तय करेगी।
वहीं, फिल्म के वरिष्ठ अभिनेता फूल सिंह ने भी कहा कि चेतना झाम का यह कदम वास्तव में सराहनीय है। एक महिला उद्यमी जब भोजपुरी सिनेमा में सकारात्मक बदलाव के इरादे से उतरती है, तो यह पूरे बिहार के लिए गर्व की बात है। उन्होंने बिहारवासियों से आह्वान किया कि वे इस प्रयास को अपना भरपूर समर्थन दें। फिल्म अनमोल घड़ी केवल एक सिनेमाई प्रस्तुति नहीं, बल्कि भोजपुरी की गरिमा, बिहार की संस्कृति और युवाओं के भविष्य से जुड़ी एक ठोस पहल के रूप में सामने आ रही है।
सियासी मियार की रीपोर्ट
Siyasi Miyar | News & information Portal Latest News & Information Portal