शांति और सुरक्षा नहीं – हथियारों की होड़ से संभवः गुटेरेस…

संयुक्त राष्ट्र, पिछले 80 वर्षों से नागासाकी का नाम मानवता के लिए एक चेतावनी और श्रद्धांजलि दोनों बनकर उभरा हुआ है – वह दिन जब 09 अगस्त 1945 को परमाणु बम गिरने से हजारों निर्दोष लोग मारे गए थे। आज इसी दिन, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने उक्त त्रासदी की स्मृति में वैश्विक समुदाय को एक महत्वपूर्ण संदेश दिया: हथियारों की होड़ से कभी शांति और सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जा सकती।
श्रद्धांजलि सभा का भावनात्मक परिदृश्य
इस अवसर पर, गुटेरेस ने भगवान को सुनहरे शब्दों में याद करते हुए हजारों निर्दोष लोगों के प्रति अपनी संवेदना और शोक व्यक्त किया। उन्होंने उन बच्चों, बुजुर्गों और प्रत्येक पीड़ित के परिवारों के दर्द को साझा किया जो उस विनाशकारी घटना में अपना सबकुछ खो बैठे थे। उन्होंने विशेष रूप से बचे हुए “हिबकुशा” यानी जीवित बचने वाले लोगों के साहस और उनकी आवाज़ का सम्मान किया, जो समय के साथ धीरे-धीरे बिछड़ते जा रहे हैं।
हथियारों की दौड़—शांति की नहीं, अस्थिरता की दिशा में
गुटेरेस ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वर्तमान वैश्विक भू-राजनीतिक स्थितियों में हथियारों की भड़की हुई होड़ सिर्फ और सिर्फ विश्व को अस्थिरता की ओर धकेल रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि असली सुरक्षा संवाद, कूटनीति और निस्संकोच बातचीत से ही सुनिश्चित हो सकती है – न कि नयी हथियार प्रणालियों, परमाणु शस्त्रों या सैन्य बलों की अंधाधुंध दौड़ से।
वैश्विक संदेश – आंदोलन और प्रतिबद्धता
अपने संदेश में, गुटेरेस ने यह भी रेखांकित किया कि इसका केवल एक स्थल या केवल एक दिन तक सीमित नहीं रहना चाहिए। उन्होंने वैश्विक समुदाय, विशेष रूप से परमाणु शक्तियों से अपील की कि वे वास्तविक और स्थायी आयुध नियंत्रण समझौतों की दिशा में पूर्वाग्रहहीन कदम उठाएं। उन्होंने याद दिलाया कि स्मरण शक्ति और संवेदनाशीलता ही हमें ऐसी दुश्चक्र से बाहर ले जा सकती हैं, जहां युद्ध एक विकल्प न बन जाए।
नागासाकी से संकल्प की ओर – भविष्य का निर्माण
– यह यादगार आयोजन हमें न केवल इतिहास की भयावहता का बोध कराता है, बल्कि हमें यह सोचने पर मजबूर भी करता है कि क्या हम संकल्पबद्ध हैं—उस भविष्य के लिए जहाँ मानवता हथियारों के बजाय संवाद, करुणा, और सहयोग को अपनाये।
– जहां परमाणु बमों की धमाकों की आवाज़ शांत हो जाए, वहीं हम मनुहार करें—”हाँ, हम अपनी अंतरात्मा की आवाज़ सुनेंगे, अपनी संभावनाओं को विश्वास देंगे, और मानवता की चाहत से आगे बढ़ेंगे।”
गुटेरेस के इस संदेश ने हमें फिर से याद दिलाया कि वास्तविक परिवर्तन—शांति और सुरक्षा की दिशा में—उन्हीं मूल्यों पर आधारित होगा जिन्हें हम साझा, संवेदना, और संवाद कहते हैं। हथियारों की होड़ कभी स्थायी समाधान नहीं बन सकती।
सियासी मियार की रीपोर्ट
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