पुस्तक समीक्षा: सोशल नेटवर्किंग- कल और आज..
समीक्ष पुस्तक: सोशल नेटवर्किंग-कल और आज
-प्रीति सोनी-

सोशल नेटवर्किंग और सोशल मीडिया जैसे सरल लेकिन विस्तारित विषय को आसानी से समझने के लिए सोशल नेटवर्किंग कल और आज नामक यह किताब काफी सहायक है। सामान्यतः सोशल मीडिया पर अब तक लिखी गई किताबों में हिन्दी भाषा की किताबों की काफी कमी देखी जाती है, जिससे हिन्दी भाषी वर्ग इससे जुड़ी सूचनाओं, जानकारियों एवं नए शोध के बारे में नहीं जान पाता। ऐसे में यह किताब हिन्दी में जानकारी के लिए बेहतर विकल्प साबित होती है।
वर्तमान में समाज का हर वर्ग सोशल मीडिया पर सक्रिय है, परंतु उसे सोशल मीडिया के हर पहलु के बारे में पूरी जानकारी नहीं है। लेखक राकेश कुमार द्वारा इस किताब के माध्यम से समाज तक सोशल नेटवर्किंग की आवश्यक छोटी-बड़ी जानकारियां पहुंचाने का पूरा प्रयास किया गया है, जिसमें सोशल नेटवर्किंग साइट्स और मीडिया के वर्गीकरण से लेकर उसके इतिहास, विकास और उपयोगिता को बताया है।
इस किताब में पाठकों को साल 2012 तक विश्व की तमाम सोशल नेटवर्किंग साइट्स के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी गई है। इसके अलावा भारत में नेटवर्किंग साइट्स और उनकी विभिन्न वर्तमान स्थितियों को भी इसके द्वारा विस्तार से समझाया गया है। लेखक ने पाठकों को सोशल नेटवर्किंग, इंटरनेट, ई-पोर्टल के बारे में बताने के साथ ही इनके जरिए किए जाने वाले अपराध और उनके तरीकों पर भी प्रकाश डाला है।
वर्तमान में सोशल मीडिया द्वारा जाने-अनजाने में होने वाले अपराधों व उनकी विभिन्न धाराओं पर भी इस किताब में चर्चा की गई है, साथ ही उनके लिए बनाए गए कानून और सजा के प्रावधान को भी पाठकों के संज्ञान में लाया गया है। इसके लिए अब तक आईटी कानून और सूचना प्रौद्योगिकी कानून बनाए गए हैं। आईटी एक्ट की धारा 66 ए को विस्तार से बताते हुए, लेखक ने इन अपराधों के लिए सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और स्वच्छंदता में अंतर स्पष्ट करते हुए समझाया है।
किताब में इंटरनेट और नेटवर्किंग साइट्स के प्रोटोकॉल हेतु उपयोग किए जाने वाले शॉर्ट फॉर्म्स और वेबसाइट्स के विभिन्न प्रकारों से भी पाठकों को अवगत कराया गया है। अंत में राकेश कुमार ने अपने शोध की संदर्भ सामग्री का भी स्पष्ट ब्यौरा दिया है। कुलमिलाकर सोशल नेवर्किंग कल और आज… सामान्य तौर पर नेटवर्किंग से जुड़ी तमाम आवश्यक जानकारियां पाठकों तक सरलता से पहुंचाती है, और इन्हें हिन्दी में संजोना एक सराहनीय प्रयास है।
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