गाजा में पत्रकारों की हत्या स्तब्धकारी और अत्यंत खेदजनक : भारत…

नई दिल्ली, 27 अगस्त। गाजा में इजरायली हमलों के दौरान पांच पत्रकारों की मौत को भारत ने एक “स्तब्धकारी और बेहद खेदजनक” घटना बताया है। यह हमले ऐसे समय हुए हैं जब हमास के साथ जारी संघर्ष ने पहले ही क्षेत्र में व्यापक तबाही मचा रखी थी। इस घटना के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इजरायल की कड़ी निंदा हो रही है।
गाजा के खान यूनिस में सोमवार को अस्पताल पर हुए हमले में कम से कम 20 लोग मारे गए, जिनमें पांच पत्रकार भी शामिल थे। इस हमले के बाद यूएन मानवाधिकार कार्यालय (ओएचसीएचआर) ने कहा कि अब विश्व समुदाय को इस भयावह स्थिति पर तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। युद्ध शुरू होने के बाद से अब तक कुल 247 फलस्तीनी पत्रकारों की मौत हो चुकी है।
विदेश मंत्रालय ने घटना की कड़ी निंदा की
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बुधवार को कहा, “पत्रकारों की मौत एक स्तब्धकारी और अत्यंत खेदजनक घटना है। भारत हमेशा संघर्ष में आम लोगों की जान जाने की निंदा करता रहा है।” उन्होंने यह भी बताया कि इजरायली अधिकारियों ने इस हमले की जांच शुरू कर दी है।
मारे गए पत्रकारों में अहद अबू अजीज, हुस्साम अल-मसरी, मरियम दग्गा, मोहम्मद सलामा और मोआज अबू ताहा शामिल हैं। ये पत्रकार मिडल ईस्ट आई, एसोसिएटेड प्रेस, अल जज़ीरा और रॉयटर्स जैसे प्रमुख मीडिया संस्थानों से जुड़े थे। इस घटना ने न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक स्तर पर मीडिया और मानवाधिकार संगठनों में गंभीर चिंता पैदा कर दी है।
विश्लेषकों का कहना है कि पत्रकारों को निशाना बनाना अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों का स्पष्ट उल्लंघन है। यह घटनाएँ युद्ध की स्थिति में नागरिकों और मीडिया की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाती हैं। भारत ने अपनी गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और उनके अधिकारों की रक्षा करना अंतरराष्ट्रीय समुदाय की साझा जिम्मेदारी है।
इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इन मौतों पर खेद व्यक्त किया और घटना को “दुर्भाग्यपूर्ण हादसा” बताया। उन्होंने कहा कि इजरायली सेना “विस्तृत जांच” करेगी।
इजरायली सैन्य प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल नदाव शोशानी ने मंगलवार को कहा कि दक्षिणी गाजा के सबसे बड़े अस्पताल पर लगातार हमलों का आदेश इसलिए दिया गया क्योंकि सैनिकों का मानना था कि आतंकवादी कैमरे का इस्तेमाल इजरायली बलों पर नजर रखने के लिए कर रहे थे। इजरायल लंबे समय से मानता रहा है कि हमास और अन्य आतंकवादी समूह अस्पतालों में मौजूद हैं। हालांकि इजरायली अधिकारी इस दावे के समर्थन में शायद ही कोई सबूत देते हैं।
सियासी मियार की रीपोर्ट
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