ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन ने शुरू की यूएन प्रतिबंध बहाल करने की प्रक्रिया…

न्यूयॉर्क/लंदन/पेरिस, 30 अगस्त। फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के प्रतिबंधों को फिर से लागू करने की औपचारिक प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह कदम ऐसे समय पर उठाया गया है जब ईरान के खिलाफ कूटनीतिक प्रयास नाकाम साबित हो रहे हैं और उसका परमाणु कार्यक्रम लगातार आगे बढ़ रहा है।
तीनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को गुरुवार को सूचित किया कि वे 2015 के ईरान परमाणु समझौते (जेसीपीओए) के तहत मौजूद ‘स्नैपबैक मैकेनिज़्म’ को सक्रिय कर रहे हैं। इस प्रक्रिया के तहत 30 दिनों में प्रतिबंध दोबारा लागू हो सकते हैं, हालांकि इस अवधि में ईरान को स्थिति सुधारने का मौका मिलेगा।
विदेश मंत्रियों के संयुक्त बयान में कहा गया, “आज ईरान का जेसीपीओए का उल्लंघन स्पष्ट और जानबूझकर है। उसके कई प्रमुख संवर्धन स्थलों पर अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) की निगरानी नहीं हो रही। उच्च संवर्धित यूरेनियम का कोई नागरिक औचित्य नहीं है।”
बयान में आगे कहा गया कि ईरान का कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बना हुआ है।
ब्रिटिश अधिकारियों के अनुसार, यह निर्णय हल्के में नहीं लिया गया। उन्होंने बताया कि ईरान के महत्वपूर्ण उल्लंघनों, उच्च स्तर के यूरेनियम भंडार और कूटनीतिक समझौते के लिए पर्याप्त प्रतिक्रिया की कमी के कारण यह कदम उठाना पड़ा। अधिकारियों ने कहा कि वे अब भी कूटनीतिक समाधान के पक्षधर हैं और इसे बातचीत का अंत नहीं मानते।
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने ई3 के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा, “मैं ईरानी नेताओं से अपील करता हूं कि वे ऐसे कदम उठाएं जिससे उनका देश कभी परमाणु हथियार न बना सके। शांति का रास्ता अपनाएं और ईरानी जनता की समृद्धि सुनिश्चित करें।”
वहीं, ईरान की ओर से इस पर कोई प्रतिक्रिया अब तक नहीं आई है। हालांकि तेहरान ने पहले ही चेतावनी दी है कि अगर प्रतिबंध फिर लगाए गए तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
ऐसे में प्रतिबंध को लेकर उठाए जा रहे कदम क्षेत्रीय तनाव को और बढ़ा सकते हैं, खासकर जब मध्य पूर्व पहले ही अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है।
सियासी मियार की रीपोर्ट
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