ट्रंप 18वीं सदी के कानून का इस्तेमाल कर वेनेजुएला गिरोह के सदस्यों को निर्वासित नहीं कर सकते : अदालत...
वाशिंगटन, अमेरिका की एक संघीय अपीलीय अदालत ने मंगलवार को फैसला सुनाया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 18वीं सदी के युद्धकालीन कानून का इस्तेमाल करके उन लोगों को निर्वासित नहीं सकते, जिन पर उनकी सरकार वेनेजुएला के एक गिरोह का सदस्य होने का आरोप लगाती है।
इस फैसले से ट्रंप प्रशासन की एक प्रमुख पहल पर रोक लग गयी है और अब इस लड़ाई के उच्चतम न्यायालय में पहुंचने की उम्मीद है।
अमेरिका की सबसे रूढ़िवादी संघीय अदालतों में गिनी जाने वाली 5वीं सर्किट अपीलीय अदालत में तीन न्यायाधीशों की पीठ ने 2-1 के बहुमत से दिए फैसले में प्रवासी अधिकार कार्यकर्ताओं और निचली अदालतों की दलीलों से सहमति जतायी।
दलीलों में कहा गया था कि 1798 का ‘एलियन एनिमीज़ एक्ट’ ‘ट्रेन डी अरागुआ’ जैसे गिरोहों के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिए नहीं बनाया गया था।
ट्रंप प्रशासन ने इस साल मार्च में इस कानून का हवाला देते हुए वेनेजुएला के इस गिरोह के कथित सदस्यों को अल सल्वाडोर की एक कुख्यात जेल में निर्वासित करते हुए यह तर्क दिया था कि अमेरिकी अदालतें वहां से उनकी रिहाई का आदेश नहीं दे सकतीं।
जुलाई में घोषित एक समझौते के तहत, निर्वासित किए गए 250 से अधिक प्रवासी वेनेजुएला लौट गए।
इस कानून का अमेरिकी इतिहास में अब तक केवल तीन बार इस्तेमाल हुआ है और वह भी 1812 के युद्ध और दोनों विश्व युद्धों के दौरान। ट्रंप प्रशासन ने दलील दी थी कि अदालतें राष्ट्रपति के इस निर्धारण पर सवाल नहीं उठा सकतीं कि ‘ट्रेन डी अरागुआ’ गिरोह वेनेजुएला सरकार से जुड़ा हुआ है और अमेरिका के लिए खतरा है, इसलिए इस अधिनियम का इस्तेमाल उचित है। हालांकि, अदालत ने इस तर्क को खारिज कर दिया।
अब इस फैसले को या तो 5वीं सर्किट अदालत में चुनौती दी जा सकती है या सीधे अमेरिकी उच्चतम न्यायालय में अपील की जा सकती है, जहां इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय होने की संभावना है।
सियासी मियार की रीपोर्ट
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