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पुस्तक समीक्षा: ‘विज्ञान पुत्र’: प्रेरणा और महानता की एक यात्रा….

पुस्तक समीक्षा: ‘विज्ञान पुत्र’: प्रेरणा और महानता की एक यात्रा….

डॉ.कलाम केवल वैज्ञानिक ही नहीं बल्कि एक महान प्रेरक भी थे

भारत की आधुनिक वैज्ञानिक यात्रा में यदि किसी व्यक्तित्व ने जनमानस पर गहरा प्रभाव छोड़ा है तो वे हैं मिसाइल मैन और भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम। सरल जीवन, महान उद्देश्य और युवाओं को प्रेरित करने वाला व्यक्तित्व–यही उनकी पहचान है। लेखक डॉ. संदीप कुमार शर्मा ने अपनी पुस्तक विज्ञान पुत्र: डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम में उनके बचपन से लेकर राष्ट्रपति बनने तक की यात्रा को अत्यंत सरल, प्रेरणादायी और तथ्यपरक ढंग से प्रस्तुत किया है। यह पुस्तक केवल जीवनी नहीं बल्कि एक मार्गदर्शक है, जो बताती है कि कैसे साधारण परिस्थितियों में जन्मा व्यक्ति भी अपने समर्पण, साधना और ज्ञान की शक्ति से असाधारण ऊँचाइयाँ छू सकता है।

पुस्तक विज्ञान पुत्र: डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का मुख्य उद्देश्य भारत के मिसाइल मैन और ग्यारहवें राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम के व्यक्तित्व और कृतित्व को पाठकों तक सरल और प्रेरणादायी रूप में पहुँचाना है। लेखक डॉ. संदीप कुमार शर्मा ने उनके जीवन के हर पहलू को बड़ी संवेदनशीलता और तथ्यात्मकता से प्रस्तुत किया है। साधारण परिवार में जन्म लेकर कठिन परिस्थितियों के बावजूद विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में महान उपलब्धियाँ हासिल करने वाले डॉ. कलाम का जीवन हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

लेखक स्वयं पत्रकारिता और साहित्य की दुनिया का जाना-माना नाम हैं। उन्होंने अब तक 26 पुस्तकें लिखी और संपादित की हैं। आकाशवाणी और दूरदर्शन के लिए भी उन्होंने अनेक कार्यक्रम और नाट्य रूपांतरण तैयार किए हैं। उनकी भाषा प्रवाहपूर्ण और सरल है। इसी कारण यह पुस्तक हर वर्ग के पाठकों के लिए आकर्षक और उपयोगी बन जाती है।

पुस्तक में डॉ. कलाम के बचपन से लेकर राष्ट्रपति बनने तक की यात्रा का विस्तार से वर्णन है। बचपन में पक्षियों को उड़ते देख उनमें भी आकाश छूने की इच्छा जगी। उन्होंने वायुसेना में पायलट बनने का सपना देखा, लेकिन उसमें सफलता न मिलने पर हतोत्साहित होने की बजाय नए अवसरों की ओर बढ़े। उन्होंने वैज्ञानिक अभियान्त्रिकी को चुना और बाद में इसरो तथा रक्षा अनुसंधान संगठन में काम करते हुए भारत के पहले उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 के विकास में अहम भूमिका निभाई। इसके बाद अग्नि और पृथ्वी जैसी स्वदेशी मिसाइलों के विकास का नेतृत्व किया और एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम के मुख्य वास्तुकार बने। पोखरण द्वितीय परमाणु परीक्षण में उनकी भूमिका संगठनात्मक और तकनीकी दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण रही।

लेखक ने पुस्तक में यह स्पष्ट किया है कि डॉ. कलाम केवल वैज्ञानिक ही नहीं बल्कि एक महान प्रेरक भी थे। वे बच्चों और युवाओं से सीधा संवाद करना पसंद करते थे। राष्ट्रपति बनने के बाद भी उन्होंने युवाओं को प्राथमिकता दी और उन्हें राष्ट्रपति भवन में आमंत्रित कर प्रेरित किया। वे कहा करते थे कि सपने वो नहीं जो सोते समय देखे जाते हैं, बल्कि सपने वो हैं जो हमें सोने नहीं देते। उनका मानना था कि बड़े सपने ही जीवन को दिशा देते हैं और उन्हें साकार करने की शक्ति प्रदान करते हैं।

पुस्तक में डॉ. कलाम के व्यक्तित्व और कृतित्व का संतुलित चित्रण मिलता है। उनके वैज्ञानिक योगदान के साथ-साथ उनके धार्मिक और आध्यात्मिक विचारों को भी स्थान दिया गया है। लेखक यह दिखाने में सफल रहे हैं कि विज्ञान और अध्यात्म एक-दूसरे के विरोधी नहीं बल्कि पूरक हैं। कलाम का जीवन इस बात का उदाहरण है कि गहराई से धार्मिक भावनाएँ रखने वाला व्यक्ति आधुनिक विज्ञान का भी उतना ही बड़ा साधक हो सकता है।

पुस्तक का सबसे बड़ा गुण इसकी प्रेरणादायी शैली है। यह युवाओं को यह संदेश देती है कि परिस्थितियाँ चाहे कितनी ही कठिन क्यों न हों, यदि संकल्प और परिश्रम हो तो सफलता अवश्य मिलती है। यह भी स्पष्ट होता है कि व्यक्तिगत उपलब्धियाँ तभी सार्थक हैं जब उनका उपयोग राष्ट्र और समाज के हित में किया जाए।

समग्र रूप से यह कहा जा सकता है कि विज्ञान पुत्र: डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम केवल एक जीवनी नहीं बल्कि एक आदर्श जीवन का दस्तावेज है। यह पुस्तक हर पाठक को यह सीख देती है कि बड़ा सपना देखना और उसे पूरा करने का साहस ही महानता की पहली सीढ़ी है। साधारण परिस्थितियों में जन्म लेकर भी यदि व्यक्ति में समर्पण, साधना और आत्मविश्वास है तो वह राष्ट्र और समाज के लिए नई दिशा दिखा सकता है। यह पुस्तक विशेषकर छात्रों, युवाओं, शिक्षकों और शोधार्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी और प्रेरणादायी है।

पुस्तक : विज्ञान पुत्र: डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम

लेखक : डॉ. संदीप कुमार शर्मा

प्रकाशक : डायमंड पॉकेट बुक्स

समीक्षक : उमेश कुमार सिंह

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