फिच ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि अनुमान को बढ़ाकर 7.4 प्रतिशत किया…

नई दिल्ली, 05 दिसंबर। साख निर्धारित करने वाली एजेंसी फिच रेटिंग्स ने बृहस्पतिवार को चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि अनुमान को 6.9 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.4 प्रतिशत कर दिया। मुख्य रूप से उपभोक्ता खर्च में वृद्धि और जीएसटी सुधारों के साथ बेहतर धारणा के कारण वृद्धि अनुमान को बढ़ाया गया है।
फिच ने कहा कि घटती मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को दिसंबर में नीतिगत दरों में एक और कटौती करके इसे 5.25 प्रतिशत पर लाने गुंजाइश देती है। आरबीआई इस साल अब तक मुख्य नीतिगत दर रेपो में एक प्रतिशत की कटौती कर चुका है। उसने कहा कि जुलाई-सितंबर तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर बढ़कर 8.2 प्रतिशत हो गई जो इससे पिछली अप्रैल-जून तिमाही के 7.8 प्रतिशत थी।
रेटिंग एजेंसी ने दिसंबर के लिए अपनी वैश्विक आर्थिक परिदृश्य रिपोर्ट में कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2025-26 (मार्च के अंत तक) की शेष अवधि में वृद्धि धीमी रहेगी, लेकिन हमने पूरे वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि अनुमान को सितंबर के 6.9 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.4 प्रतिशत कर दिया है।’’
इस वर्ष वृद्धि को मुख्य रूप से निजी उपभोक्ता खर्च गति दे रहा है। इसका कारण मजबूत वास्तविक आय गतिशीलता, उपभोक्ता धारणा में सुधार और हाल ही में लागू किए गए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) सुधारों का प्रभाव है।
जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाये जाने के तहत लगभग 375 वस्तुओं पर कर की दरें कम की गई है। इससे 99 प्रतिशत से अधिक उपभोग की वस्तुएं सस्ती हुई हैं। जीएसटी में संशोधित दरें 22 सितंबर से प्रभावी हुई हैं।
फिच को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2026-27 में जीडीपी वृद्धि दर धीमी होकर 6.4 प्रतिशत रहेगी। इसने अनुमान लगाया है कि वित्तीय स्थिति में सुधार के साथ अगले वित्त वर्ष (2026-27) की दूसरी छमाही में निजी निवेश में तेजी आएगी। खाने-पीने की चीजों की कम कीमतों के कारण अक्टूबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 0.3 प्रतिशत के अबतक के सबसे निचले स्तर पर आ गई।
फिच ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि घटती मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को दिसंबर में नीतिगत दर में एक और कटौती करके इसे 5.25 प्रतिशत करने की गुंजाइश देगी…।’’ आरबीआई शुक्रवार को अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करेगा।
फिच के अनुसार, मुख्य मुद्रास्फीति में सुधार और गतिविधियों के मजबूत बने रहने के अनुमान के साथ आरबीआई नीतिगत दर में कटौती के उच्चतम स्तर तक पहुंच गया है और अगले दो साल तक नीतिगत दर 5.25 प्रतिशत पर बनी रहेगी।
सियासी मियार की रीपोर्ट
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